मासूमों का चेहरा देख सूख गए मां के आंसू
देवघर : सदर अस्पताल परिसर के एक कोने में मंगलवार शाम एक महिला सात बच्चों के सिर पर बार
देवघर : सदर अस्पताल परिसर के एक कोने में मंगलवार शाम एक महिला सात बच्चों के सिर पर बारी-बारी से हाथ फेर रही थी। उसका नाम उर्मिला देवी है। पूछने पर पता चला कि उसके पति की जसीडीह-मधुपुर के बीच हुए ट्रेन हादसे में मौत हो गई है। इस महिला के सात बच्चे हैं और उसके पास इतना भी पैसा नहीं है कि वह बच्चों को कुछ खिला सके। महिला के सामने एक तरफ उसके पति का शव था तो दूसरी ओर उसके सात मासूम बच्चों का चेहरा। महिला की आंख का आंसू इन मासूमों का चेहरा देखकर सूख चुके थे। महिला मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के सारे थाना क्षेत्र के जाना गांव की रहने वाली है। उसके पति देवेंद्र कुमार पंजाब में मजदूरी करते थे। और वह खुद बच्चों के साथ बूढ़े पिता व मां के साथ पश्चिम बंगाल के आसनसोल में ईंट भट्ठा में कमा करती है। छठ पर्व पर सभी लोगों को गांव जाना था। तय हुआ था कि पति पंजाब से बंगाल आएगा और दीपावली मनाने के बाद सभी गांव जाएंगे। पति मंगलवार तड़के आसनसोल जा रहा था कि रास्ते में ट्रेन से गिरकर उसकी मौत हो गई। मधुपुर रेल पुलिस ने जेब से उसकी पत्नी का नंबर बरामद किया। उसके बाद पत्नी को सूचना मिली। उर्मिला देवघर पहुंची तो यहां उसके पति का शव मिला। उनके बच्चों को काफी भूख लगी थी। उसके पास एक पैसा नहीं था। उसकी हालात देख पोस्टमार्टम हाउस में काम करने वाले चतुर्थ वर्गीय कर्मी पांचू राम तक को हिला दिया। उसने न सिर्फ शव को ढकने के लिए कफन का इंतजाम किया बल्कि उसने बच्चों के खाने के लिए सौ रुपया अपनी जेब से निकाल कर दिया। बच्चों के खाने का इंतजाम करने के बाद पति के शव का क्या होगा इसकी चिंता उर्मिला को सताने लगी।
मदद को उठे कई हाथ: उर्मिला व उसके मासूम बच्चों की हालत को देखकर अस्पताल में मौजूद गोपाल कुमार, कारू को दया आ गई और फिर एंबुलेंस से भेजने के लिए चंदा करने लगे। वहां मौजूद लोग व अस्पताल के कुछ कर्मचारियों ने भी मदद की। वार्ड पार्षद रवि राउत ने 500 रुपये व बच्चों के लिए कंबल का इंतजाम किया। फिर भी पैसा कम पड़ रहा था। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन से संपर्क किया गया। मानवीय पहलू को देखते हुए डीएस डॉ. विजय कुमार व अस्पताल प्रबंधक चंद्रशेखर महतो के प्रयास से एंबुलेंस का इंतजाम किया गया ताकि शव को उसके गांव तक पहुंचाया जा सके।