जुगाड़ तकनीक के जरिए झांसी से निकले पाकुड़
लॉकडाउन में सब बंद है तो क्या हुआ जुगाड़ तकनीक तो है। इसी तकनीक के सहारे पाकुड़ के बाप व बेटों ने यूपी के झांसी से अपने घर के लिए निकल गए।
देवघर : लॉकडाउन में सब बंद है तो क्या हुआ, जुगाड़ तकनीक तो है। इसी तकनीक के सहारे पाकुड़ के बाप व बेटों ने यूपी के झांसी से अपने घर के लिए निकल गए। दो दिन के सफर के बाद तीसरे दिन शुक्रवार को देवघर पहुंचे थे। यह इनके इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि एक मोटरसाइकिल पर पाकुड़ निवासी 60 वर्षीय अमजद शेख, मो. मनरूक शेख व अकमल समेत पांच बच्चों के साथ यूपी के झांसी से 1130 किमी दूर झारखंड के पाकुड़ के लिए निकल पड़े। कबाड़ का करते थे काम : पाकुड़ के अमजद शेख अपने बच्चों के साथ वर्षों से झांसी में कबाड़ का काम कर रहे थे। सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद लॉकडाउन ने इनकी मुसीबत बढ़ा दी। दो महीनों से इनका काम पूरी तरह से बंद था। जो पैसे बचाकर रखे थे पाकुड़ में अपने परिवार को देने के लिए उससे जीवन चलने लगा। अंतत: यह पैसा भी समाप्त हो गया और घर जाने की बेचैनी बढ़ गई। कोई उपाय नजर नहीं आया तो अपने मालिक (जिसके लिए कबाड़ का काम करते थे) से मिले और पैसे नहीं रहने की दुहाई देते हुए घर जाने के लिए अड़ गए। मालिक ने किसी तरह एक मोटरसाइकिल की व्यवस्था की। छह लोग एक मोटरसाइकिल पर जाते कैसे। तब इन्होंने मोटरसाइकिल में ठेला जोड़ दिया और निकल पड़े अपने घर के लिए। सफर में पहली बार इन्होंने पटना पहुंचकर सरकारी व्यवस्था के तहत भोजन किया। आगे बिहार में ही एक बार और भोजन किया, फिर देवघर होते हुए पाकुड़ के लिए रवाना हो गए। अमजद शेख ने बताया कि पैसा पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। पेट्रोल के लिए तीन हजार रुपया घर से मंगाए और उसी पेट्रोल से घर के लिए निकल पड़े। बच्चे बारी-बारी से मोटरसाइकिल चला रहे थे।