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लोभ व माया का त्याग करने से ही मिलेगी गुरु की कृपा

देवघर के केकेएन स्टेडियम में रामाश्रम सत्संग मथुरा की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आध्यात्मिक सत्संग समारोह के दूसरे दिन रविवार की सुबह यहां धर्म आध्यात्म और आतंरिक सत्संग की अविरल बयार बहती रही।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 12:46 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:19 AM (IST)
लोभ व माया का त्याग करने से ही मिलेगी गुरु की कृपा
लोभ व माया का त्याग करने से ही मिलेगी गुरु की कृपा

देवघर : देवघर के केकेएन स्टेडियम में रामाश्रम सत्संग मथुरा की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आध्यात्मिक सत्संग समारोह के दूसरे दिन रविवार की सुबह यहां धर्म, आध्यात्म और आतंरिक सत्संग की अविरल बयार बहती रही। आध्यत्मिक सत्संग समारोह की शुरूआत ज्ञान दीप प्रकाश कर, भीतर जराय। जहां सुमिर गुरु नाम का, सहज समाधि लगाय भजन से किया गया। इसके बाद भजनों का दौर चलता रहा और बड़ी संख्या में आए अनुयायी इसमें गोते लगाते रहे। सबै रसायन हम पिया, प्रेम समान न कोय। रंजक तन में संचरे, सबतन कंचन होय गुरु भजन के उपरांत तकरीबन 20 मिनट तक आंतरिक सत्संग का आयोजन किया गया। इसके उपरांत रामाश्रम सत्संग के संस्थापक समर्थ गुरु संत डॉ.चर्तुभुज सहाय के पौत्र ने प्रवचन के दौरान अनुयायियों से कहा कि गुरु से हमें शक्ति प्राप्त होती है। मनुष्य का यौनी कर्म करने के लिए मिलता है जबकि अन्य यौनियों में सिर्फ भोग के लिए है। मनुष्यता प्राप्त करना और सच्चा इंसान बनने का मतलब कि उस पर गुरु की कृपा है। मनुष्य जीवन में जब तक छल-प्रपंच को दूर नहीं करेंगे तब तक गुरु के नजर में नहीं आ पाएंगे। गुरु के संपर्क में आकर तमाम अवगुण व दोष धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। इसलिए जो मनुष्य इस भ्रम में रहता है कि ईश्वर और गुरु को एक स्थान पर रखें या नहीं वे जीवन भर भटकते रह जाते हैं। गुरु की कृपा पाने के लिए लोभ, माया का त्याग कर उनके शरण में जाना चाहिए। प्रवचन के दौरान अमित कुमार ने कहा कि भंडारा का मतलब भंडार का रस धारा है। भंडारा का आयोजन पंडुई महाराज राजेश्वरी प्रसाद की याद में किया जाता है जो गुरु जी के प्रथम आचार्य भी थे। इसके उपरांत भंडारा का आयोजन किया गया जबकि शाम में भी सात से नौ बजे तक भजन, प्रवचन व ध्यान का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देवघर के अलावा बड़ी संख्या झारखंड, बिहार, बंगाल समेत यूपी के अनुयायी शिरकत कर रहे हैं। देवघर में आयोजित तीन दिवसीय आयोजन को सफल बनाने में जेपी सिंह, सत्येंद्र पराशर समेत कई अहम भूमिका निभा रहे हैं। बताते चलें कि देवघर में यह आयोजन प्रत्येक दो साल के अंतराल पर होता है। देवघर के अलावा बिहार के गया जिले के शेरघाटी में भी इस आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन किया जाता है।

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