झारखंड किसी की जागीर नहीं : फुरकान
कोल ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्र सरकार बगैर झारखंड सरकार से सलाह मशविरा किए कोई निर्णय कैसे ले सकती है।
मधुपुर (देवघर) : कोल ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्र सरकार बगैर झारखंड सरकार से सलाह मशविरा किए कोई निर्णय कैसे ले सकती है। झारखंड किसी की जागीर नहीं है कि जब जो चाहे निर्णय ले लेंगे। उक्त बातें सोमवार को पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने कही। उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश में आम जनता की सरकार है। केंद्र को चाहिए था कि यहां कि सरकार को विश्वास में लेने के बाद ही कोई निर्णय लेती। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार न सिर्फ कोल ब्लॉक की नीलामी का ही बल्कि इसके निजीकरण तक का मन बनाई हुई है। यह कोल सेक्टर के लिए घातक है। प्रदेश में देश का 39 प्रतिशत कोल रिजर्व है।
केंद्र सरकार को चाहिए था कि वह इस दिशा में पारदर्शिता अपनाते हुए राज्य को होने वाले फायदा आदि का भरोसा दिलाते लेकिन केंद्र सरकार ने बिना किसी बातचीत के कोल ब्लॉक की नीलामी शुरू कर दी। जिस कारण राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। नीलामी से पहले झारखंड में सामाजिक, आíथक सर्वे होना जरूरी था ताकि इससे पता चलता कि पूर्व में हुए खनन से हमें क्या लाभ अथवा हानि हुई। केंद्र सरकार का रवैया नकारात्मक है, जो साफ साफ दिख रहा है। आज पूरा देश कोरोना वायरस की चपेट में है और कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगभग चार लाख पार कर चुकी है लेकिन सरकार की नजर इस पर नहीं बल्कि कोयले पर टिकी हुई है। जिसे झारखंड की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। कोल ब्लॉक आवंटन विषय पर राज्य सरकार अपने मंत्रिमंडल एवं अपने विधायकों से निर्णय लेगी। इसमें सभी दल के नेताओं को बुलाने की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार निर्णय लेने के लिए सक्षम है।