समाप्त हो गई मुद्दों की राजनीति, हवाई बातें कर रहे राजनेता
विधानसभा चुनाव में इस बार प्रत्याशियों को कई ऐसे अनसुलझे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा जिससे आम जनता प्रभावित होती है। खासतौर पर रोजमर्रा की जिदगी में आने वाली परेशानियों के साथ साथ दैनिक दिनचर्या में होने वाली परेशानियां।
देवघर : विधानसभा चुनाव में इस बार प्रत्याशियों को कई ऐसे अनसुलझे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिससे आम जनता प्रभावित होती है। खासतौर पर रोजमर्रा की जिदगी में आने वाली परेशानियों के साथ साथ दैनिक दिनचर्या में होने वाली परेशानियां। रविवार को कचहरी परिसर स्थित पांडेय चाय दुकान पर सुबह-सुबह चाय की तलब लोगों को खींचकर दुकान की ओर ले आती है। लोग जुटे हैं, चाय की चुस्की है तो चुनाव के इस मौसम में चुनावी चर्चा न हो, यह मुमकिन नहीं है। चाय की प्याली हाथ में लिए लोग समीकरण बैठाने में जुट गए हैं। अमित कुमार कहते हैं इस बार का चुनाव आसान नहीं होगा किसी भी प्रत्याशी के लिए। बढ़ती महंगाई में लोगों का जीना दुश्वार हो रहा है। जहां प्याज रुला रहा है, वहीं थाली में सब्जियों के स्थान पर लोग सोयाबीन और दाल से काम चला रहे हैं। रोहित कुमार कहते हैं कि सरकार नौकरियों को समाप्त करके संस्थानों को निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। जिससे आम जनता को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। मासूम कुमार कहते हैं कि सरकार ने 370 और राम मंदिर निर्माण का रास्ता जरूर साफ किया है, लेकिन महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार की आलोचना भी हो रही है। इससे आम जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। खासतौर से संताल परगना में लोग अपने जायदाद को भी बेंचकर आवश्यक कार्य नहीं कर सकते हैं। जहां तक प्रत्याशियों की बात है, जो प्रत्याशी हमारी मूलभूत जरूरतों को महसूस कर उस पर कार्य करेगा, उसी प्रत्याशी को मौका देंगे। सुधांशु शेखर कहते हैं कि कई सालों से मुद्दों की राजनीति समाप्त हो गई है। केवल और केवल नेता लोग हवाई बातें कर आम जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं। इसलिए इस बार मुद्दों को वापस लाने के लिए वोट करेंगे। शिव शंकर मिश्र कहते हैं कि हर बार की तरह इस बार धोखा नहीं खाएंगे। जांच परख कर ही प्रत्याशी को चुनेंगे।