शरद पूर्णिमा पर बाबा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
वैसे तो बाबाधाम में पूर्णिमा का अलग ही महत्व है लेकिन शरद पूर्णिमा की बात खास है। इस रात चंद्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं का प्रदर्शन करते हुए दिखाई देता है।
देवघर : वैसे तो बाबाधाम में पूर्णिमा का अलग ही महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा की बात खास है। इस रात चंद्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं का प्रदर्शन करते हुए दिखाई देता है। कहते हैं कि बरसात के बाद आने वाली शरद पूर्णिमा की रात आसमान साफ होता है। चांद से निकली चांदनी बिना किसी व्यवधान के अपने साथ अमृत की बूंदें लेकर धरती पर गिरती है। इसी मान्यता के कारण शरद पूर्णिमा की रात चावल से बनी खीर को छलनी से ढक कर खुले आसमान में रखने की परंपरा है। दूध, चावल, चीनी का संबंध चांद और देवी लक्ष्मी से बताया जाता है।
रविवार को लोग खीर बनाकर रात भर उसे खुले आसमान के नीचे चांदनी में रख देंगे और अगले दिन यानी सोमवार की सुबह लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। लोगों की मानें तो इस खीर में अमृत का अंश होता है, जो आरोग्य सुख प्रदान करता है। इसलिए स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा की रात खीर बनानी चाहिए। शरद पूर्णिमा पर रविवार को बाबा बैद्यनाथ का दरबार श्रद्धालुओं से पटा रहा। तकरीबन 60 हजार भक्तों ने बाबा को जलार्पण किया। अल सुबह चार बजे बाबा बैद्यनाथ का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया। पट खुलते ही श्रद्धालुओं की कतार बाबा मंदिर से मानसरोवर तट तक पहुंच चुकी थी। पूजा का सिलसिला शुरू होते ही जोर-जोर से ओम नम: शिवाय और बोल बम का जयघोष होने लगा। श्रद्धालु फूट ओवरब्रिज व संस्कार मंडप होते हुए बाबा मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। दोपहर देर तक यह सिलसिला चलता रहा। कतार सिमटने के बाद श्रद्धालुओं को काफी राहत हुई और जलार्पण के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा।