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कोरोना ने बदल दी इफ्तार की रौनक

संवाद सहयोगी मधुपुर (देवघर) कोरोना महामारी ने परंपराओं को बदल कर रख दिया है। पहले

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 10:49 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 10:49 PM (IST)
कोरोना ने बदल दी इफ्तार की रौनक
कोरोना ने बदल दी इफ्तार की रौनक

संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर): कोरोना महामारी ने परंपराओं को बदल कर रख दिया है। पहले लोग गले मिलते थे अब दूर से ही करते हैं आदाब-नमस्ते। रमजान महीना मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र महीना है। पहले इस महीने में इफ्तार की रौनक रहती थी। गैर मुस्लिम संगठन व विभिन्न राजनीतिक दल भी इफ्तार का भव्य तरीके से आयोजन करते थे। मुस्लिम मोहल्लों में प्राय: कई घरों के लोग मिलकर एक साथ इफ्तार किया करते थे। लेकिन अब न तो कोई राजनीतिक दल इफ्तार का आयोजन कर रहा है और न ही मस्जिदों में या मोहल्लों में सामूहिक इफ्तार हो रहा है। इफ्तार का स्वरूप घर के भीतर भी बदल गया है। इफ्तार में दस्तरखान का बड़ा महत्व है। सब मिलकर एक साथ भोजन करने की परंपरा बहुत पुरानी रही है। जैसे ही आप एक साथ दस्तरखान पर बैठते हैं। आप अकेले नहीं रह जाते आप दूसरों का भी ख्याल रखने लगते हैं कि इतनी ही भोजन सामग्री है, तो कितना उठाएं। व्यक्ति स्वत: अनुशासित हो जाता है। मधुपुर शहर के नवी बख्श रोड भेड़वा निवासी रोजेदार फिरोज आलम अपने परिवार के साथ प्रतिदिन शारीरिक दूरी बनाकर इफ्तार करते हैं। उन्होंने कहा कि दस्तरखान पर मिलकर बांटकर खाने से बरकत होती है। एक साथ खाने में जूठा भी नहीं माना जाता रहा है। अब इफ्तार के दौरान शारीरिक दूरी रखी जा रही है। पहले संयुक्त परिवार थे, पर अब छोटे परिवार के कारण शारीरिक दूरी रखना आसान है।

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कोरोना संक्रमण से युवा व्यवसायी की मौत : शहर के कुंडूबंगला मोहल्ला निवासी 41 वर्षीय युवा व्यवसायी की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई है। मरीज की मौत रविवार की सुबह स्थानीय अनुराग अस्पताल में हुई। इसकी पुष्टि अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राहुल कुमार सिंह व मृतक के भाई ने की। युवा व्यवसायी की मौत से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक अपने पांच भाइयों में सबसे छोटा था। गोकुल मार्बल के संचालक व जगुआर कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर को इलाज के लिए कुछ दिन पूर्व प्राईवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार के कई सदस्य भी कोरोना संक्रमित हुए थे। लेकिन बाद में सभी निगेटिव हो गए थे। मरीज का ऑक्सीजन का स्तर काफी नीचे पहुंच चुका था, इस वजह से उसे बचाया नहीं जा सका।


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