कोरोना नियमों का पालन करते हुए करें अल्ला की इबादत
संवाद सहयोगी मधुपुर इस्लाम में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस बार भी रमजान का
संवाद सहयोगी, मधुपुर : इस्लाम में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस बार भी रमजान का महीना कोरोना महामारी के बीच शुरू हुआ है। इसलिए इसका असर रोजेदारों पर भी पड़ना लाजिमी है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुसलमान किन बातों का ध्यान रखें और किससे बचें। जिससे रोजे का हुक्म भी अदा हो जाए और कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के उपाय भी अपना लिए जाए। इस्लामिक शिक्षाविद अबूतालिब अंसारी ने कहा कि 14 अप्रैल से एक बार फिर विशेष परिस्थिति में शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए सभी मस्जिदों में केवल पांच व्यक्ति ही नमाज व तरावीह का एहतेमाम करें। ताकि शारीरिक दूरी भी बनी रहे और मस्जिदों को आबाद भी रखा जा सके। इस बार फितरा व जकात की रकम अपने करीबी पड़ोसी (बिना भेदभाव के) की जरूरतों के तहत देने की कोशिश होनी चाहिए। हुक्म के मुताबिक यह अफजल भी है। इसलिए रोजेदार के लिए रमजान के महीने में चंद बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
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-- सिर्फ स्वस्थ लोग रमजान के रोजे रखने की पाबंदी करें।
-- रोजे-इफ्तार को अपने घरों पर ही अंजाम दिया जाए।
-- इफ्तार पार्टी या सामूहिक आयोजन से परहेज किया जाए।
-- मस्जिद में पढ़ी जाने वाली तरावीह को घर पर ही पढ़ें।
-- हाफिज के मुहैया नहीं होने की सूरत में सूरत तराबीह भी पढ सकते हैं।
-- हाफिज मुहैया होने पर घर पर कुरान सुना जा सकता है, लेकिन ये हाफिज घर के सदस्य हों, न कि बाहर से बुलाए गए हों।
-- घर पर तरावीह के दौरान बाहरी लोगों को इकट्ठा ना होने दें, बल्कि सिर्फ घर के सदस्य ही नमाज में शामिल हों।
-- रोजा खोलने के लिए मस्जिदों के बजाए घर पर ही खोलें।
-- बीमार लोग न रोजे रखें, न किसी भी स्थति में नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में जाएं।