कैश बैक का लालच दे करते थे ठगी, 15 धराए
जागरण संवाददाता देवघर कैश बैक का लालच देकर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के 15 सदस्
जागरण संवाददाता, देवघर : कैश बैक का लालच देकर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के 15 सदस्यों को देवघर साइबर थाना की पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया। एसपी धनंजय कुमार सिंह को मिली गुप्त सूचना पर डीएसपी मंगल सिंह जामूदा और साइबर डीएसपी सुमित प्रसाद के नेतृत्व में पुलिस टीम ने जिले के करौं थाना क्षेत्र के नागादरी व भोरनडीहा, पथरौल थाना क्षेत्र के ठेंगाडीह, मधुपुर थाना क्षेत्र के मधुपुर बाजार और भेड़वानावाडीह व देवीपुर थाना क्षेत्र के महुआटांड गांव से इन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। इनके पास से पुलिस ने 42 मोबाइल फोन, 28 सिम कार्ड और एक पासबुक बरामद किया है। पकड़े गए आरोपितों में मुकेश कुमार मंडल के खिलाफ पिछले वर्ष साइबर थाने में साइबर ठगी व वर्ष 2017 में सारठ थाने में मारपीट का मामला दर्ज था। वह जेल भी गया था। लेकिन, जेल से बाहर निकलने के बाद फिर से साइबर ठगी के धंधे में शामिल हो गया।
ठगों की गिरफ्तारी के लिए गठित टीम में इंस्पेक्टर सुधीर कुमार पोद्दार, संगीता कुमारी, एसआइ रुपेश कुमार, अतिश कुमार, पंकज कुमार निषाद, मनोज कुमार मुर्मू, अमित कुमार, स्वरूप भंडारी, मो. अफरोज व सार्जेंट प्रतीक कुमार शामिल थे। पकड़े गए आरोपितों में सगे भाई भी शामिल
पकड़े गए साइबर आरोपितों में सगे भाई भी शामिल हैं। जिले के करौं थाना क्षेत्र के नागादरी गांव निवासी इकरार अंसारी व इजराइल अंसारी, मधुपुर थाना क्षेत्र के लेड़वा गांव निवासी प्रीतम कुमार दास, गौतम कुमार दास व देवीपुर थाना क्षेत्र के महुआटांड गांव निवासी मिथुन रवानी व पिटू कुमार रवानी सगे भाई हैं। इनके अलावा नगदारी गांव निवासी नूर आलम, रियासत अंसारी, तबारक अंसारी, मारगोमुंडा थाना क्षेत्र के ओलदाहा गांव निवासी फैयाज अंसारी उर्फ आशिक उर्फ कल्लू, पथरौल थाना क्षेत्र के ठेंगाडीह गांव निवासी मुकेश कुमार मंडल, मधुपुर थाना क्षेत्र के लेड़वा गांव निवासी दीपक दास, शिबू कुमार दास, टिकैत दास, देवीपुर थाना क्षेत्र के महुआटांड गांव निवासी रोहित रवानी, मिथुन रवानी को भी गिरफ्तार किया गया है। आल इंडिया साइबर क्राइम लिक से जोड़ा जाएगा नाम
साइबर डीएसपी सुमित प्रसाद ने बताया कि साइबर ठगी के आरोपित देवघर ही नहीं पूरे देश के लिए समस्या बन चुके हैं। जो साइबर आरोपित पकड़े गए हैं या फिर जिनकी पहचान हुई है उसे आल इंडिया साइबर क्राइम लिक से जोड़ा जाएगा। इसकी निगरानी इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर से होगी। यह संस्था गृह मंत्रालय के अधीन है। इससे यह आसानी से पता चल जाएगा कि यहां के आरोपितों का देश कि किसी राज्य के किसी थाने में तो मामला दर्ज नहीं है। अगर उनके खिलाफ मामला मिला तो संबंधित राज्य के न्यायालय में भी उनके खिलाफ ट्रायल चलाया जाएगा। ऐसा करने से ये साइबर आरोपित अधिक दिनों तक जेल के अंदर रहेंगे। इनके अंदर भय पैदा होगा कि एक बार पकड़े जाने के बाद वे लंबे समय तक जेल जा सकते हैं और इससे बढ़ते साइबर अपराध पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।