पर्यटन दिवस पर विशेष ::::: कछुए की चाल से हो रहा पर्यटन स्थलों का विकास
संजय शर्मा इटखोरी(चतरा) पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर सरकार तो खूब ढिढोरा पिटती है
संजय शर्मा, इटखोरी(चतरा): पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर सरकार तो खूब ढिढोरा पिटती है। लेकिन विकास की रफ्तार काफी धीमी है। चतरा जिला में इटखोरी के मां भद्रकाली मंदिर परिसर तथा कौलेश्वरी पर्वत पर पर्यटन विकास को लेकर कुछ काम हुए हैं। लेकिन जिले के अन्य धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की सरकार के द्वारा उतनी खोज खबर नहीं ली गई है। मां भद्रकाली मंदिर परिसर में विकास का काम 1968 में चोरी हुई माता की प्रतिमा की वापसी के बाद शुरू हुआ। उस वक्त मंदिर विकास समिति ने अपने सामर्थ्य के अनुसार मंदिर परिसर का विकास शुरू किया। बाद में एकीकृत बिहार के वक्त चतरा के तत्कालीन उपायुक्त रामबृक्ष महतो की पहल पर इटखोरी प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के द्वारा जवाहर रोजगार योजना से मंदिर परिसर में विकास के कुछ काम किए गए। वर्ष 2000 में बिहार राज्य पर्यटन विभाग ने मंदिर परिसर को पर्यटन विकास स्थल के रूप में चिन्हित कर 60 लाख रुपए की लागत से टूरिस्ट कांप्लेक्स भवन का निर्माण करवाया। हजारीबाग एवं चतरा जिला परिषद के माध्यम से दो डाक बंगले भी बनाएं गए। लेकिन काफी लंबे चौड़े भू-भाग में फैले मां भद्रकाली मंदिर परिसर में विकास के चंद काम ऊंट के मुंह में जीरा के समान थे। इसी बीच हजारीबाग के तत्कालीन वन संरक्षक यतींद्र कुमार सिंह चौहान की पहल पर राज्य के पर्यटन विभाग ने एक करोड़ 40 लाख रुपए की लागत से मंदिर परिसर में सौंदर्यीकरण तथा आधारभूत संरचनाओं का निर्माण करवाया। इसके तहत मंदिर परिसर में नई चारदीवारी के अलावा अत्याधुनिक शौचालय, विवाह मंडप, साधना चबूतरा तथा मंदिर परिसर के प्रवेश द्वारों का नवीनीकरण कराया गया। इतने काम के बाद मंदिर परिसर की आभा में चार चांद लग गया। 2015 में शुरू हुए इटखोरी महोत्सव की शुरुआत के बाद जिला परिषद के माध्यम से सवा दो करोड़ की लागत से एक और डाक बंगला का निर्माण शुरू किया गया है। जो अब अंतिम चरण में है। राज्य के पर्यटन विभाग के द्वारा साढे चार करोड़ रुपए की लागत से अत्याधुनिक म्यूजियम के निर्माण की योजना को मंजूरी दे दी गई है। म्यूजियम निर्माण की योजना का टेंडर भी हो चुका है। संवेदक के द्वारा म्यूजियम निर्माण के लिए लेआउट का काम भी करा लिया गया है। किसी भी वक्त म्यूजियम का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। वही मंदिर परिसर में पर्यटन विकास के लिए तैयार की गई पांच सौ करोड़ रुपए की मास्टर प्लान की योजना की फाइल फिलहाल सरकार के पास लंबित है। हंटरगंज के मां कौलेश्वरी पर्वत पर भी जिला परिषद एवं जिला प्रशासन के द्वारा पीसीसी पथ, शेड निर्माण आदि का काम किया गया है। इस पर्वत के लिए स्वीकृत रोपवे का निर्माण कार्य फिलहाल लंबित है। जिले में इन दोनों स्थलों के बाद भी कई धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। लेकिन सरकार व प्रशासन के द्वारा इन स्थलों की कोई खोज खबर नहीं ली जा रही है। जबकि रोजगार सृजन के लिए गोवा व तमासीन जलप्रपात, खैवाबनारू, भवानी मठ, मां लेंबोइया मंदिर परिसर, बलबल गर्म जल कुंड, टंडवा के सूर्य मंदिर परिसर का भी विकास नितांत आवश्यक है। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि जिले के सभी धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थलों के विकास के बाद ही यहां रोजगार का सृजन हो पाएगा। आत्मनिर्भर झारखंड बनाने के लिए सरकार को जिले के सभी पर्यटन स्थलों का विकास प्राथमिकता के आधार पर करना पड़ेगा।
:::::::::::::::::::::: भद्रकाली का मास्टर प्लान कर सकता है पर्यटकों को आकर्षित पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन स्थलों का विकास बहुत आवश्यक है। चतरा जिला के धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास के लिए सरकार ने बड़ी-बड़ी योजनाएं भी बनाई है। लेकिन पर्यटन विकास की अधिकांश योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई है। इन्हीं योजनाओं में से एक है मां भद्रकाली मंदिर परिसर में पर्यटन विकास के लिए तैयार किया गया मास्टर प्लान। भद्रकाली मंदिर के लिए बनाया गया मास्टर प्लान देश और दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है। क्योंकि भद्रकाली के मास्टर प्लान के तहत मंदिर परिसर में दुनिया का सबसे ऊंचा प्रेयर व्हील (प्रार्थना चक्र) बनाने की योजना है। जिसमें 200 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसी तरह मंदिर परिसर में मास्टर प्लान के तहत मेगा प्लाजा गेट, ऑडिटोरियम, रिवर फ्रंट आदि का भी निर्माण होना है। इन सभी योजनाओं का निर्माण हो जाने के बाद देश व दुनिया के पर्यटक निश्चित रूप से चतरा जिला की ओर अपना रुख करेंगे। लेकिन ऐसा तभी होगा जब मास्टर प्लान की योजनाएं धरातल पर उतरेगी।
:::::::::::::: रोपवे निर्माण से बढ़ जाएगा कौलेश्वरी पर्वत का आकर्षण हंटरगंज प्रखंड के कौलेश्वरी पर्वत पर स्थित मां कौलेश्वरी मंदिर परिसर भी ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन स्थल है। इस स्थल की महत्ता को देखते हुए तत्कालीन रघुवर सरकार ने कौलेश्वरी पर्वत पर रोपवे का निर्माण करने की योजना को मंजूरी प्रदान की थी। फिलहाल रोपवे निर्माण की योजना अधर में लटकी हुई है। माना जाता है कि कौलेश्वरी पर्वत पर रोपवे का निर्माण हो जाने के बाद इस ऐतिहासिक धार्मिक स्थल का आकर्षण काफी बढ़ जाएगा। लोगों का तो यहां तक कहना है कि कौलेश्वरी पर्वत झारखंड का वैष्णो देवी धाम के रूप में प्रसिद्धि पा सकता है।