दोबारा तैयार किया जा रहा पतरातू-बोधगया ट्रांसमिशन लाइन
संवाद सहयोगी इटखोरी (चतरा) झारखंड बिहार को ट्रांसमिशन लाइन से जोड़ने वाले पतरातू बोधग
संवाद सहयोगी, इटखोरी (चतरा): झारखंड बिहार को ट्रांसमिशन लाइन से जोड़ने वाले पतरातू बोधगया ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण दोबारा किया जा रहा है। इस ट्रांसमिशन लाइन का पचास प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। तीन-चार माह के अंदर इस महत्वपूर्ण ट्रांसमिशन लाइन का नव निर्माण पूरा हो जाने की संभावना है। मालूम हो कि पतरातू थर्मल पावर प्लांट की स्थापना के बाद पतरातू बोधगया ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया गया था। यह इमरजेंसी ट्रांसमिशन लाइन थी। जिससे उस वक्त के एकीकृत बिहार के दक्षिण तथा मध्य हिस्से को जोड़ा गया था। इस इमरजेंसी ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण का उद्देश्य था कि अगर किसी वजह से एकीकृत बिहार के दक्षिणी या मध्य हिस्से में बिजली की किल्लत होती है तब उस स्थिति में इस इमरजेंसी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से किल्लत वाले क्षेत्र में बिजली पहुंचाई जा सके। पतरातू बोधगया ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण होने के बाद यह ट्रांसमिशन लाइन तीस-चालिस वर्षो तक पूरी तरह महफूज रही। इसी बीच बिहार झारखंड के बंटवारे के बाद राज्य के बॉर्डर पर ट्रांसमिशन लाइन का एक टावर किसी वजह से गिर गया। गिरे हुए ट्रांसमिशन लाइन के टावर को लेकर झारखंड व बिहार राज्य के ट्रांसमिशन लाइन विभाग के बीच विवाद उत्पन्न हो जाने के कारण कई वर्षों तक ट्रांसमिशन लाइन का नया टावर खड़ा नहीं किया जा सका। जिससे इस ट्रांसमिशन लाइन में विद्युत की आपूर्ति वर्षों तक बाधित रही। इसी बीच गिरे हुए ट्रांसमिशन लाइन के टावर पर चोरों की नजर पड़ गई। चोरों ने सैकड़ों किलोमीटर लंबे इस ट्रांसमिशन लाइन का पहले तार काटा, फिर धीरे-धीरे टावर भी काट कर ले गए। अब फिर से इस इमरजेंसी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण शुरू किया गया है। वर्तमान समय में पतरातू से लेकर इटखोरी प्रखंड के मुरुमदाग गांव तक ट्रांसमिशन लाइन में विद्युत तार लगा दिए गए हैं।