38 कारसेवकों के साथ नंदलाल भी गए थे अयोध्या
अमन राणा चतरा विश्व हिदू परिषद के समरसता विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष नंदलाल केसरी 1992 में
अमन राणा, चतरा : विश्व हिदू परिषद के समरसता विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष नंदलाल केसरी 1992 में कार सेवा में कई रामभक्तों के साथ अयोध्या गए थे। दैनिक जागरण से अनुभव साझा करते हुए उन्होंने अयोध्या की घटनाक्रम को विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि विवादित ढ़ांचा ध्वंस की घटना हमेशा याद रहेगी। इस दौरान चतरा के कई कारसेवक घायल भी हुए थे। वह राम मंदिर शिलान्यास को लेकर वह काफी उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि 1992 में राम कारसेवक समिति की ओर से चतरा जिला प्रभारी उन्हें बनाया गया था। उनके अगुवाई में 38 कार्यकर्ताओं की टीम चार दिसंबर 1992 को अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। उस समय झारखंड-बिहार का विभाजन नही हुआ था। बिहार के गया पहुंचने के बाद ट्रेन से पांच दिसंबर की सुबह अयोध्या पहुंचे। अयोध्या में कदम रखा, तो सड़कों पर सिर्फ कारसेवक ही कारसेवक दिखाई दे रहे थे। उसके बाद वहां पर चतरा, हजारीबाग व रांची से गए कार्यकर्ताओं को सरयू नदी किनारे रामजी के पौड़ी में भगवान भोलेनाथ के मंदिर में ठहराया गया। रात्रि विश्राम के दौरान इन कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। उसके अगले दिन सभी एक साथ राम मंदिर के समीप मैदान में अशोक सिंहल, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा की सभा में शिरकत किए। वहां कंटिले तार से पुरा मैदान घिरा हुआ था। करीब ढाई से तीन लाख कारसेवक उस मैदान में जमे थे। साध्वी ऋतंबरा का भाषण हुआ। भाषण के दौरान अधिकांश कार्यकर्ता विद्रोह करने लगे। देखते ही देखते लोग बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई कर दिया। इसमें कई कारसेवक जख्मी हुए और मारे गए। चतरा से गए 38 कारसेवकों में भी कुछ लोग जख्मी हो गए थे। इस बीच कारसेवकों से अपने अपने घरों को लौटने का आह्वान किया गया। वे लोग अपने दल के साथ ट्रेन से बनारस लौटने लगे। इस बीच कई स्थानों पर खचाखच भरे ट्रेनों पर पथराव हुआ। किसी तरह बचते-बचाते चतरा पहुंचे। उस समय यहां के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गुप्तेश्वर पांडेय थे। उनको आने की सूचना मिलते ही सभी से मुलाकात कर सुरक्षा के ²ष्टिकोण से अपने-अपने रिश्तेदारों व दोस्तों के यहां छुपने की बात कही। एसपी के आग्रह के बाद सभी एक से ड़ेढ़ माह छुपे रहे। बताया कि उनके साथ अयोध्या जाने वाले अन्य कार सेवकों में प्रवीण चंद्र पाठक, नरेश कुमार, महेंद्र यादव, फुलचंद यादव, रामानुज पांडेय, रामचंद्र, प्रदीप राणा सहित अन्य थे।