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विराग सागर जी महाराज को दी गई विदाई

जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ की जन्मभूमि पर मंदिर की स्थापना और अ¨हसा विश्व मैत्री कीर्ति स्तंभ के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने आए थे मुनि विराग सागर

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 11:37 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 11:37 PM (IST)
विराग सागर जी महाराज को दी गई विदाई

संवाद सहयोगी, इटखोरी (चतरा) : जैन तीर्थ क्षेत्र में कमल मंदिर की स्थापना कार्यक्रम में शिरकत करने आए जैन मुनि आचार्य विराग सागर जी महाराज को शीतलनाथ तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने शनिवार को यहां से विदाई दी। जैन मुनि यहां से हजारीबाग के लिए प्रस्थान किए हैं। 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ स्वामी की जन्म भूमि से विदा होने से पूर्व आचार्य विराग सागर जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यहां आने का अनुभव काफी अच्छा रहा।

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तीर्थंकर की जन्मभूमि पर मंदिर तथा अ¨हसा विश्व मैत्री कीर्ति स्तंभ के शिलान्यास कार्यक्रम का साक्षी बनने का सौभाग्य तो मिला ही, क्षेत्र के गणमान्य लोगों से भी मुलाकात हुई। आचार्य विराग सागर जी ने कहा कि धर्मों की त्रिवेणी पर सबसे खुशी की बात यह महसूस हुआ कि यह पवित्र भूमि अ¨हसा का क्षेत्र है। इस धार्मिक क्षेत्र में प्याज, लहसुन तक खाना वर्जित है। जैन मुनी को शीतलनाथ तीर्थ क्षेत्र कमेटी के महामंत्री सुरेश झांझरी, कोषाध्यक्ष जितेंद्र जैन, क्षेत्र मंत्री सुनील जैन, जॉनी जैन, तारा चंद जैन, शिखर चंद जैन, संजय जैन आदि ने विदाई दी। -------

जैन चैत्यालय का किया गया शिलान्यास

इटखोरी के उप डाकघर के समीप शनिवार को जैन चैत्यालय का शिलान्यास किया गया। जैन मुनि आचार्य विराग सागर जी की देखरेख में पूरे विधि-विधान पूर्वक चैत्यालय का शिलान्यास हुआ। शिलान्यास स्थल पर जैन धर्मावलंबियों ने जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का भव्य मंदिर निर्माण करने का संकल्प लिया। चैत्यालय का शिलान्यास करने से पूर्व शांति धारा का अनुष्ठान किया गया। तत्पश्चात व्यवसाई ताराचंद जैन के घर में अस्थाई रूप से स्थित जैन मंदिर में स्थापित भगवान महावीर की प्रतिमा का अभिषेक किया गया। इसके बाद चैत्यालय के निर्माण के लिए पांच दशक पूर्व खरीदी गई जमीन पर शिलान्यास का अनुष्ठान हुआ। शिलान्यास के अनुष्ठान में जयपुर के व्यवसाई शिखर चंद जैन, हजारीबाग के कैलाश चंद जैन तथा इटखोरी के ताराचंद जैन एवं संजय जैन ने शीला रखकर चैत्यालय का शिलान्यास किया। आचार्य विराग सागर जी ने जैन धर्मावलंबियों को सुझाव दिया कि शिलान्यास स्थल पर शीघ्र ही भगवान महावीर के भव्य मंदिर का निर्माण आरंभ करें।


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