Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : हिरींग गांव बदहाल, आदर्श बनने की आस में गुजरेे आठ साल
Lok Sabha Polls 2019. 1942 में हुए हजारीबाग जेलकांड के हीरो बाबू शालिग्राम सिंह का हिरींग गांव पिछले आठ साल में भी आदर्श नहीं बन पाया है।
चतरा, [अमरेंद्र प्रताप सिंह]। 1942 में हुए हजारीबाग जेलकांड के हीरो बाबू शालिग्राम सिंह का जन्मस्थल हंटरगंज प्रखंड का हिरींग गांव पिछले आठ साल में भी आदर्श गांव नहीं बन पाया है। सरकारी संकल्प के बावजूद अभी भी यह बदहाल स्थिति में है। विपक्षी नेता इस लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे पर भी सत्ताधारी दल के प्रत्याशी को घेरने की तैयारी में हैं।
2011 में तत्कालीन संयुक्त प्रजातांत्रिक गठबंधन (संप्रग) की सरकार ने हिरींग समेत तरवागाड़ा, नावाडीह-पनारी, पचमो और कुरखेता गांव को आदर्श ग्राम के तौर पर विकसित करने का एलान किया था। इसके तहत इन गांवों में आधारभूत संरचना विकसित करनी थी। वहां सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सकीय सुविधा और शिक्षा की समुचित व्यवस्था करनी थी।
पांच साल के भीतर गांव को आदर्श बनाना था। इसे लेकर प्रशासनिक तंत्र ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर परियोजना भी तैयार की। परियोजना के मुताबिक हिरींग गांव में राम नारायण मेमोरियल कॉलेज से गोपालपुर तक, राजधानी मोड़ से बिशुनपुर तक और प्रतापपुर मार्ग से शिव मंदिर तक तीन सड़कों का निर्माण कराया जाना था। गांव में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाकर वहां एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध करानी थी।
पेयजल मुहैया कराने के लिए गांव के तीन स्थानों पर जल मीनार का निर्माण करवाया जाना था। गांव के इकलौते मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित करना था। रोशनी के लिए बिजली का समुचित प्रबंध भी करना था। प्रखंड स्तर से पूरी परियोजना बनाकर जिला मुख्यालय को भेज दिया गया, मगर उस परियोजना पर आज तक कोई काम नहीं किया गया।
हिरींग के निवासी गिरिजा सिंह, रघुवंश सिंह, रमेश सिंह, जितेंद्र कुमार सिंह और मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि गांव के कई घरों में सुदूर से पेयजल लाया जाता है। खासकर गर्मी के दिनों में पीने के पानी की भारी किल्लत रहती है। नंद किशोर सिंह, रविंद्र कुमार सिंह अरविंद कुमार सिंह और जैनेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि गांव की सड़कें अत्यंत जर्जर हैं। उन पर गाडिय़ों की आवाजाही तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल होता है।
गांव में एक मध्य विद्यालय तो है मगर उच्च विद्यालय के लिए छात्र-छात्राओं को दो से ढाई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। विद्यालय में पांच शिक्षक के पद सृजित हैं। मगर वहां चार शिक्षक ही कार्यरत हैं। इस विद्यालय में 185 छात्र अध्ययनरत हैं। गांव में एक भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। लिहाजा ग्रामीणों को प्राथमिक चिकित्सा के लिए भी प्रखंड मुख्यालय हंटरगंज जाना पड़ता है।
कई ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि हिरींग को आदर्श ग्राम बनाने की घोषणा महज छलावा साबित हो रही है। ग्रामीण इसे अपने साथ भद्दा मजाक मान रहे हैं। गांव का हाल लेने सिर्फ एक सांसद इंदर सिंह नामधारी पहुंचे थे, मगर उनके कोटे से गांव को सिर्फ एक विवाह मंडप ही मिल पाया। उन्होंने भी दोबारा सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। मौजूदा सांसद सुनील कुमार सिंह ने तो इस गांव में अपने चरण रखने तक की जहमत नहीं उठाई।
विपक्षी दल इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सांसद सक्रिय होते तो हिरींग आदर्श गांव बन गया होता। हालांकि संप्रग के कार्यकाल में अपनी सक्रियता पर भी विपक्षी नेता खामोश हैं। बहरहाल आदर्श ग्राम प्रस्तावित होने के कारण हिरींग अन्य सभी सरकारी योजनाओं से वंचित है।