कांग्रेसियों ने स्वतंत्रता सेनानी की धर्मपत्नी को किया सम्मानित
स्वतंत्रता सेनानी समाज के धरोहर हैं। जिन्होंने देश के लिए गोलियां खाई उनके परिजन आज बदहाल हैं। यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है। सरकार अपने कार्यों में मस्त है। उक्त बातें कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने कही। वे दैनिक जागरण के शनिवार के अंक में प्रकाशित एक अदद कंबल के लिए तरस रही स्वतंत्रता सेनानी की धर्मपत्नी शीर्षक से
पत्थलगडा : स्वतंत्रता सेनानी समाज के धरोहर हैं। जिन्होंने देश के लिए गोलियां खाईं, उनके परिजन आज बदहाल हैं। यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है। सरकार अपने कार्यों में मस्त है।
उक्त बातें कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने कही। वे दैनिक जागरण के शनिवार के अंक में प्रकाशित एक अदद कंबल के लिए तरस रही स्वतंत्रता सेनानी की धर्मपत्नी शीर्षक से छपी खबर पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उग्रवाद प्रभावित गांव उरूब पहुंचे थे। जिलाध्यक्ष ने स्वतंत्रता सेनानी बख्शी मुसाफिर लाल की विधवा धर्मपत्नी कलावती देवी को सम्मानित किया। शॉल और उन्हें कंबल दिया व इलाज के लिए आर्थिक मदद भी की। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उनके परिजनों को मिठाई भी खिलाई। कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिजनों को पार्टी की ओर से सम्मानित किया जाएगा। मौके पर कांग्रेस अनुसूचित जाति के प्रदेश सचिव दिनेश दास, राजसभा सांसद प्रतिनिधि लक्ष्मी साहू, मो. मोहिउद्दीन, मो. कुदुस, मो. नईम, मो. बेलाल, संदीप रजक, संदीप ¨सह, किशोरी राम, महेन्द्र यादव सहित अन्य उपस्थित थे। .. और फूट-फूट कर रो पड़ी कलावती स्वतंत्रता सेनानी बक्शी मुसाफिर लाल के घर पहली बार कोई मिलने गए थे। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की हुजूम को देख कलावती फूट-फूट कर रोने लगी। उसकी पीड़ा और दर्द भरी दास्तान लोगों को भाव विभोर कर दिया। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के यहां का जीवनकाल और बक्शी मुसाफिर लाल के साथ विवाह फिर दिल्ली से उरुब गांव में आकर बसने की व्यथा सुनकर हर कोई भाव विभोर हो गए। उसने बताया कि सन 1974-75 में उनके पति स्वतंत्रता सेनानी के निधन के बाद उनसे मिलने के लिए आज तक उनका घर कोई भी नहीं आया था। पहली बार अपने घर पर दर्जनों की संख्या में पहुंचे लोगों को देखकर कलावती के आंखों में छलके खुशी की आंसू बंद नहीं हो रहे थे।
बजार से दैनिक जागरण की प्रति मंगवा कर पढ़ाया पत्थलगडा : कलावती के घर पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया कि दैनिक जागरण में आपकी खबर छपी है। हम सभी खबर पढ़ कर आए हैं। तब कलावती बाजार से दैनिक जागरण के एक प्रति मंगवाई और अखबार में छपी खबर को अपने पोते से पढ़वाई। अखबार में छपी खबर को सुनकर वह अखबार को साधुवाद दी।