आदर्श बनने की आस में गुजरे 8 साल, हिरींग गांव बदहाल
आदर्श बनने की आस में गुजरे आठ साल हिरींग गांव बदहाल हजारीबाग 1942 जेलकांड के हीरो की जन्मस्थली की उपेक्षा भी बनेगी चुनावी मुद्दा अमरेंद्र प्रताप सिंह हंटरगंज 1942 हजारीबाग जेलकांड के हीरो
हंटरगंज : 1942 हजारीबाग जेलकांड के हीरो बाबू शालिग्राम सिंह का जन्मस्थल हिरींग पिछले आठ साल में भी आदर्श गांव नहीं बन पाया। सरकारी संकल्प के बावजूद यह गांव बदहाल पड़ा है। विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे पर भी सत्ताधारी दल के प्रत्याशी को घेरने की तैयारी में है। 1911 में तत्कालीन संयुक्त प्रजातांत्रिक गठबंधन (संप्रग) की सरकार ने हिरींग समेत तरवागाड़ा, नावाडीह-पनारी, पचमो और कुरखेता गांव को आदर्श ग्राम के तौर पर विकसित करने का ऐलान किया था। इसके तहत इन गावों में आधारभूत संरचना विकसित करनी थी। वहां सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सकीय सुविधा और शिक्षा की समुचित व्यवस्था करनी थी। 5 साल के भीतर इन सुविधाओं के मामले में उपर्युक्त गांव को आदर्श बनाना था।
इसे लेकर प्रशासनिक तंत्र ने संबंधित गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर परियोजना भी तैयार की। परियोजना के मुताबिक हिरींग गांव में राम नारायण मेमोरियल कॉलेज से गोपालपुर तक, राजधानी मोड़ से बिशुनपुर तक और प्रतापपुर मार्ग से शिव मंदिर तक तीन सड़कों का निर्माण कराए जाना था। गांव में एक स्वास्थ्य उप केंद्र बना कर वह एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध करानी थी। पेयजल मुहैया कराने के लिए गांव के तीन स्थानों पर जल मीनार का निर्माण करवाना था। गांव के इकलौते मवि को उवि में उत्क्रमित करना था। रोशनी के लिए बिजली का समुचित प्रबंध भी करना था।
प्रखंड स्तर से पूरी परियोजना बनाकर जिला मुख्यालय को भेज दिया गया, मगर उस परियोजना पर आज तक कोई काम नहीं किया गया। हिरींग के निवासी गिरजा सिंह, रघुवंश सिंह, रमेश सिंह, जितेंद्र कुमार सिंह और मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि गांव के कई घरों में सुदूर से पेयजल लाया जाता है। खासकर गर्मी के दिनों में पीने के पानी की भारी किल्लत रहती है। नंद किशोर सिंह, रविद्र कुमार सिंह अरविद कुमार सिंह और जैनेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि गांव की सड़कें अत्यंत जर्जर हैं। उन पर गाड़ियों की आवाजाही तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल होता है। हालांकि बिजली गांव में पहुंचा दी गई है, मगर घरों को विद्युतीकृत अब तक नहीं किया गया है। इस आधुनिक दौर में भी गांव लालटेन युग में जी रहा है। गांव में एक मध्य विद्यालय तो है मगर उच्च विद्यालय के लिए छात्र-छात्राओं को दो से ढाई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। विद्यालय में 5 शिक्षक के पद सृजित हैं। मगर वहां महज 4 शिक्षक ही कार्यरत हैं। 185 छात्रों के अध्ययनरत होने के बावजूद इस विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित नहीं किया गया है। गांव में एक भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। लिहाजा ग्रामीणों को छोटी-मोटी चिकित्सा के लिए भी प्रखंड मुख्यालय हंटरगंज जाना पड़ता है। कई ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि हिरींग को आदर्श ग्राम बनाने की घोषणा महज छलावा साबित हो रही है। ग्रामीण इसे अपने साथ भद्दा मजाक मान रहे हैं।
गांव का हाल लेने सिर्फ एक सांसद इंदर सिंह नामधारी पहुंचे थे, मगर उनके प्रयास से गांव को सिर्फ एक विवाह मंडप घर ही मिल पाया। दोबारा उन्होंने भी सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। मौजूदा सांसद सुनील कुमार सिंह ने तो उस गांव में अपने चरम रखने की जहमत नहीं उठाई। विपक्षी दल आगामी चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सांसद सक्रिय होते तो हिरींग आदर्श गांव बन गया होता। हालांकि संपर्क के कार्यकाल में अपनी सक्रियता पर भी वह खामोश हैं। बहरहाल विडंबना यह कि आदर्श ग्राम प्रस्तावित होने के कारण हिरींग अन्य सभी सरकारी योजनाओं से वंचित रह गया है। इससे ग्रामीणों का गुस्सा ज्यादा गहराया है। देखना है आगामी लोकसभा चुनाव में प्रस्तावित आदर्श गांव की उपेक्षा क्या गुल खिलाती है।