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खलिहान से बिचौलिए उठा रहे धान, किसानों को हो रहा नुकसान

संवाद सहयोगी गिद्धौर (चतरा) धान की बंपर पैदावार से किसान काफी खुश थे। परंतु इस बार भी धा

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 07:11 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 07:11 PM (IST)
खलिहान से बिचौलिए उठा रहे धान, किसानों को हो रहा नुकसान
खलिहान से बिचौलिए उठा रहे धान, किसानों को हो रहा नुकसान

संवाद सहयोगी, गिद्धौर (चतरा): धान की बंपर पैदावार से किसान काफी खुश थे। परंतु इस बार भी धान क्रय केंद्र खुलने में देरी से किसानों को उनके मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। पूरे प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से बिचौलिये धान का उठाव खलिहान में जाकर कर ले रहे हैं। वहीं किसान भी अपनी सहूलियत को देखते हुए उचित मूल्य नहीं मिलने के बावजूद अपना धान बिचौलियों को बेच दे रहे हैं। खलिहान में आकर धान का उठाव और तुरंत नकद भुगतान के आगे किसान ज्यादा मूल्य के लिए लंबी सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा बनना नहीं चाहते। किसान बिचौलियों के हाथों 11 से 12 रुपये प्रति किलो धान बेच दे रहे। प्रखड़ं के गिद्धौर, दुआरी,गांगपुर,मंझगांवा,बारियातु, पहरा आदि इलाकों से प्रतिदिन दर्जनों ट्रक व अन्य छोटे वाहनों से धान बाहर के राइस मिलों में भेजा जा रहा है। किसानों ने बताया कि धान क्रय में देरी, बेचने व भुगतान की जटिल सरकारी प्रक्रिया के कारण किसान कुछ नुकसान सहकर भी बिचौलियों को बेचना ज्यादा उपयुक्त समझ रहे हैं। इधर, सरकार के स्तर से भी धान का समर्थन मूल्य 1700 रुपए प्रति और 150 रुपए बोनस की घोषणा कर दी गई है। एक दिसंबर से प्रखंड स्तर पर धान क्रय केंद्र बनाकर निबंधित किसानों से धान की खरीदारी करने को कहा गया है।

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सरकार के पास धान बेचने में बहुत परेशानी है। धान बेचने के लिए पहले प्रखंड मुख्यालय में आवेदन जमा करना होता है। तब ऑर्डर आएगा, फिर किसान धान बेच पाएंगे। उसके बाद भुगतान के लिए दौड़ लगाी पड़ती है। इस प्रक्रिया में बहुत परेशानी है।

बिनोद दांगी, किसान।

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अगहन में धान कटवाने, मलवाने, आलू, गेंहू आदि की फसलें लगाने के लिए तत्काल रुपये की जरूरत होती है। सरकार के पास धान बेचकर इन सब कार्यो को कर पाना सम्भव नहीं है। इस लिए कम दाम में ही बिचौलियों के हाथों धान बेचने की मजबूरी है।

रामसेवक दांगी, किसान।

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सरकार के पास धान बेचने में काफी दिक्कत है। पैक्स से काफी परेशान किया जाता है। तरह तरह का नाटक पैक्स अध्यक्ष की ओर से किया जाता है। धान लेकर कई दिनों तक खड़ा रहना पड़ता है। फिर भुगतान के लिए दौड़ लगानी पड़ती है। इसलिए बिचौलियों के हाथों बेचना मजबूरी है।

जगदीश महतो, किसान।


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