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आउटसोर्सिंग से कोयला ढुलाई नहीं रुकी तो होगी आर्थिक नाकेबंदी

जागरण संवाददाता चतरा सीसीएल के आम्रपाली और मगध कोलियरियों में आउटसोर्सिंग कंपनियों से क

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 07:07 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 07:07 PM (IST)
आउटसोर्सिंग से कोयला ढुलाई नहीं रुकी तो होगी आर्थिक नाकेबंदी

जागरण संवाददाता, चतरा: सीसीएल के आम्रपाली और मगध कोलियरियों में आउटसोर्सिंग कंपनियों से कोयला ढुलाई नहीं रुकी तो आर्थिक नाकेबंदी होगी। इससे देश की कई पावर प्लांट में बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा। केंद्र सरकार को भारी आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। मंगलवार को टंडवा के ट्रक और हाइवा मालिकों के एशोसिएशन ने यह चेतावनी दी है। उन्होंने बजाप्ता उपायुक्त को इस आशय का ज्ञापन सौंपा है। हालांकि उन्होंने इस आंदोलन के लिए फिलहाल कोई डेडलाइन नहीं बताई है। वह विस्थापित प्रभावित ट्रक हाइवा ओनर एसोशिएशन के बैनर तले उन्होंने आंदोलन का एलान किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि सीसीएल की नीति से कोयला ढुलाई में जुटे सैकड़ों ट्रक और हाइवा मालिक बेरोजगार हो जाएंगे। उनमें ज्यादातर टंडवा क्षेत्र में आम्रपाली और मगध कोल परियोजनाओं से विस्थापित भू रैयत हैं। कोलियरी में जमीन जाने के बाद प्रभावित विस्थापित रैयतों में कुछ लोग ट्रक अथवा हाइवा से कोयला ट्रांसपोर्टिंग करते आए हैं। जमीन जाने के बाद वही उनकी आजीविका का साधन है। मगर अब सीसीएल की नीति बदल गई है। उसने आउटसोर्सिंग कंपनियों को कोयला ढुलाई का ठेका देना शुरू कर दिया है। इससे इलाके के छोटे ट्रांसपोर्टर्स बेरोजगार हो रहे हैं अपितु असामाजिक तत्वों की गतिविधियां भी बढ़ गई हैं। कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों को इससे आर्थिक पोषण भी होने लगा है। विस्थापित प्रभावित ट्रक हाइवा ज्ञापन में सीसीएल की आउटसोर्सिंग ट्रांसपोर्टिंग नीति पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। उसने चेतावनी दी है कि यदि जल्द उस नीति पर रोक नहीं लगाई गई तो बाध्य होकर आंदोलन करना पड़ेगा और उस दौरान कोयला ढुलाई ठप कर दिया जाएगा। इसका प्रतिकूल प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था और बिजली उत्पादन पर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि उन कोलियरियों से दर्जनों पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति होती है। ज्ञापन की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत सीसीएल के तमाम उच्चाधिकारियों को भी दी गई है।

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