आपदा की मार से चौपट हुआ मछली का व्यापार
संवाद सूत्र हंटरगंज (चतरा) प्रखंड के मछुआरों पर आपदा की जबर्दस्त मार पड़ी है। पहले स
संवाद सूत्र, हंटरगंज (चतरा) : प्रखंड के मछुआरों पर आपदा की जबर्दस्त मार पड़ी है। पहले से ही वैश्विक महामारी कोरोना के चलते उनका व्यापार चौपट हो गया था। इधर, किसी तरह कर्ज लेकर गाड़ी पटरी पर लौटाने का प्रयास किया जा रहा था, तो अचानक तीन दिन तक पड़ी मूसलाधार बारिश से उसकी कमर ही टूट गई है। बारिश ने मछुआरों के धंधे का बंटाधार कर दिया है। जोरी गांव निवासी प्रह्लाद चौधरी बताते हैं कि उन्होंने अपने तालाब में तीन लाख रुपये और बेदौली आहर में एक लाख रुपये की लागत से जीरा डाला था। बारिश में दोनों तालाबों के टूट जाने से सब बह गया। कुल चार लाख रुपये का नुकसान हुआ है। बारा गांव के शंभू चौधरी कहते हैं कि उनके तीन तालाब टूट गए हैं। सब में मछली के बीज डाले गए थे। उनके बह जाने से दो लाख रुपये की लागत डूब गई है। इस तरह के कई ऐसे मछुआरे हैं, जिनका व्यापक नुकसान हुआ है। भाजपा मत्स्य प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष कमलेश कुमार साहनी बारिश की इस तबाही से़ चितित हैं। उनका कहना है कि मछुआरों का जो नुकसान हुआ है उस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसकी तत्काल भरपाई करनी चाहिए, ताकि मछुआरे बदहाली से उबर सकें। मछली पालन ही उनकी आजीविका है। सरकारी मदद नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो जाएगी और वह सड़क पर आ जाएंगे।
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कोट
बारिश में मछुआरों का व्यापक नुकसान हुआ है। दर्जनों तालाब, आहर व बांध टूट गए। जिससे मछली बह गई। नुकसान का आकलन किया जा रहा है। प्रारंभिक संकेतों के अनुसार यह कह सकते हैं कि 30 लाख से अधिक का नुकसान हुआ है।
अमरेंद्र कुमार सिंह, जिला मत्स्य पदाधिकारी, चतरा।