तालाब व डैम को पुनर्जीवित कर बढ़ाया जा सकता है जलस्तर
जल स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए वाटर हार्वेस्टिग पर बल देना होगा। जर्जर तालाब एवं डैमों को पुनर्जीवित करने की आवाश्यकता है। जल संचायन को लेकर सरकारी योजनाएं तो बन रही है। लेकिन उसका क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण है कि मनरेगा से पिछले आठ से दस वर्षों के भीतर जल
चतरा : जल स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग पर बल देना होगा। जर्जर तालाब एवं डैमों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। जल संचयन को लेकर सरकारी योजनाएं तो बन रही है। लेकिन उसका क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण है कि मनरेगा से पिछले आठ से दस वर्षों के भीतर जल स्त्रोतों को विकसित करने के लिए करीब तीन अरब रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन इसका क्रियान्वयन बेहतर ढंग से नहीं हुआ।
जलकुंड एवं डोभा की योजना बेकार साबित हुई। जलकुंड एवं डोभा की पंद्रह हजार से अधिक योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ। लेकिन जानकार आश्चर्य होगा कि इसमें से अधिकांश बेकार हो गए। बरसात को छोड़ दें, तो दूसरे मौसम में पानी का एक बूंद नहीं रहता है। भूमि संरक्षण द्वारा पिछले चार वर्षों में तालाब एवं आहर के जीर्णोद्धार के नाम पर करीब दस करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। लेकिन इसका भी लाभ नहीं मिला। भूमि संरक्षण की योजनाएं अधिकारियों एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए चारागाह बना हुआ है। मत्स्य विभाग के पास करीब पांच सौ तालाब है। लेकिन इनमें से अधिक की स्थिति जर्जर है। जर्जर तालाबों का वर्षों से जीर्णोद्धार नहीं हुआ है। शहरी क्षेत्रों की स्थिति भी बदतर है। शहर में आठ सरकारी तालाब हैं। जिसका देखरेख एवं राजस्व की वसूली नगर परिषद करती है। इन तालाबों का भी दशकों से जीर्णोद्धार नहीं हुआ है।
नईकी तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर प्राक्कलन बनाया गया है। लेकिन अब तक उस पर काम शुरू नहीं हुआ है। सरकार ने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए नियम तो बनाए हैं। लेकिन उस पर अमल नहीं हो रहा है। शहर में बननेवाले आवासों में वॉटर हार्वेस्टिग की व्यवस्था नहीं की जाती है। यही कारण है कि बारिश का पानी नाली के जरिये बहकर तालाबों एवं नदियों में चला जाता है।