जिले के अस्पतालों में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर व आइसीयू की नहीं व्यवस्था
अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में थंबोलाईसीस थेरेपी की जांच की सुविधा नही है। क्योंकि इसकी जांच सीटी स्कैन और एमआरआई से किया जाता है।
चतरा : जिले में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं है। हार्ट के मरीज बाहर के चिकित्सकों पर निर्भर है। यदि किसी को अचानक हार्ट अटैक करता है, तो वे भागवान भरोसे रहते हैं। यही कारण है कि सदर अस्पताल व सीएचसी ने हार्ट अटैक के मरीजों का उपचार नहीं होता है। हार्ट से संबंधित मरीजों का उपचार आइसीयू में कार्डियोलॉजिस्ट करते हैं। लेकिन जिला अस्पताल या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में आइसीयू नहीं है। जिसके कारण हार्ट अटैक या हार्ट से संबंधित मरीजों को पेड्रोगल, प्लांसिटी टैबलेट और ऑक्सीजन लगाकर उन्हें तुरंत रिम्स रेफर कर दिया जाता है। जिले में अधिकांश डॉक्टर फिजिशियन हैं। ऐसे में इन डॉक्टरों के भरोसे हार्ट से संबंधित मरीजों की जांच करवाना खतरे से खाली नही है। क्योंकि इन डॉक्टरों को इस संबंध में कोई ट्रेनिग दी भी नहीं दिया गया है।
सदर अस्पताल में ईसीजी मशीन है, लेकिन ईको मशीन नहीं है। इसलिए अस्पताल में हृदय से संबंधित आए मरीजों का ईसीजी मशीन से डॉक्टर उनका जांच करते है। अगर जांच में कोई परेशानी हुई तो उन्हें भी रेफर किया जाता है। प्रत्येक माह अस्पताल में लगभग बाहर से 15 मरीज आते है। सीएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि अस्पताल में न्यूरो मरीज जांच की सुविधा नहीं है।
बताया कि जिला अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में थंबोलाईसीस थेरेपी की जांच की सुविधा नहीं है। क्योंकि इसकी जांच सीटी स्कैन और एमआरआइ से किया जाता है। लेकिन यहां इस तरह की मशीने नहीं होने के कारण मरीजों को प्रोविशन डायग्नोसिस कर रिम्स रेफर किया जाता है।
बताया कि हार्ट से संबंधित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। क्योंकि अधिकतर लोग धूम्रपान या शराब का सेवन करते है। जरूरत से अधिक आराम करते है, फास्ट फूड का अधिक मात्रा में सेवन करते है। ऐसे में मधुमेह, ब्लड प्रेशर, हार्ट में दर्द देना आदि रोग से ग्रसित हो जाते है। उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि सुबह-सुबह शारीरिक कसरत करने, धूम्रपान व नशा का सेवन न करने की बात कही।