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कौलेश्वरी, जहा बौद्ध सनातनी पुजारियों से कराते हैं संस्कार

जुलकर नैन, चतरा : बौद्ध, जैन और सनातन तीन धमरें के संगम के लिए विख्यात कौलेश्वरी का एक अलग चेह

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 07:31 PM (IST)
कौलेश्वरी, जहा बौद्ध सनातनी पुजारियों से कराते हैं संस्कार
कौलेश्वरी, जहा बौद्ध सनातनी पुजारियों से कराते हैं संस्कार

जुलकर नैन, चतरा : बौद्ध, जैन और सनातन तीन धमरें के संगम के लिए विख्यात कौलेश्वरी का एक अलग चेहरा भी है जो इसे अन्य बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था के केंद्रों से अलग करता है। वह है सनातनी पंडितों से संस्कार। यहा देश-विदेश से आने वाले बौद्ध धर्मावलंबी सनातनी पुजारियों से पूजा-पाठ और मुंडन संस्कार आदि कराते हैं। यह तीर्थ स्थल विशेष रूप से मा कौलेश्वरी की मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। दुर्गासप्तशती में भी कौलेश्वरी का उल्लेख है। लेकिन इस स्थल के प्रति सनातन, बौद्ध और जैन तीनों धमरें के मानने वालों की समान आस्था है। कौलेश्वरी पर्वत बोध गया से निकट है। यही कारण है कि बोध गया आने वाले विदेशी पर्यटक यहा भी आने की चाहत रखते हैं। प्रतिवर्ष जापान, चीन, मंगोलिया, श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल आदि देशों से हजारों की संख्या में विदेशी बौद्ध पर्यटक यहा पहुंचते हैं।

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दिसंबर से जुटती है भीड़

दिसंबर से यहा पर बौद्ध धर्मावलंबियों के आने का क्रम शुरू होता है, जो मार्च तक जारी रहता है। जानकारों का दावा है कि जितनी संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी कौलेश्वरी आते हैं, उतनी संख्या में झारखंड के दूसरे किसी भी धार्मिक स्थल पर नहीं जाते हैं। झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक कौलेश्वरी चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड में है। सनातन, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों के संगम स्थल के रूप में विख्यात यह स्थल समुद्र तल से कोई 1575 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। तीनों धमरें के लोगों की आस्था का केंद्र कौलेश्वरी मंदिर परिसर वैदिक काल से मान्यता प्राप्त तीर्थ स्थल है। यह शक्तिपीठ भी है। जानकार बताते हैं कि महाभारत काल में यह स्थल राजा विराट

की राजधानी थी। राजा विराट ने ही मा कौलेश्वरी की प्रतिमा यहा स्थापित की

थी। सनातनी यहा पूजा अर्चना के साथ विवाह एवं ब'चों का मुंडन संस्कार भी

कराते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए कौलेश्वरी पहाड़ भगवान बुद्ध की

तपोभूमि के साथ मोक्ष प्राप्त करने का एक पवित्र स्थल है। मोक्ष प्राप्ति

के भाव से बुद्धिस्ट यहा संस्कार कराने के लिए आते हैं। पहाड़ पर जैन

मंदिर भी है। यहीं पहाड़ पर कमल सरोवर का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है।

उपेक्षा का शिकार

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति होने के बाद भी यह उपेक्षित है। बुनियादी सुविधाओं

के अभाव के कारण हजारों विदेशी पर्यटक बोध गया से ही वापस लौट जाते हैं।

हालाकि पर्यटन विभाग ने रोपवे निर्माण की स्वीकृति दी है। लेकिन अब तक

कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। रोपवे का निर्माण हो जाने के बाद यहा देशी,

विदेशी पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होगी। कौलेश्वरी

में पर्यटन विकास के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे ---------------------- बाल, नाखून काटने से लेकर जितने भी यहा बुदि़धस्?टों के संस्?कार होते

हैं सनातनी पुजारी ही कराते हैं रामरेखा पंडित, पुजारी कौलेश्वरी मंदिर :::::::::::::::::::::::::

अधिकारी वर्जन

पर्यटन विभाग रोपवे निर्माण के लिए गंभीर है। निविद की कार्रवाई पूरी हो

चुकी है। उम्मीद है कि बहुत जल्द निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

राजीव कुमार, अध्यक्ष, कौलेश्वरी मंदिर प्रबंधन समिति सह एसडीओ, चतरा।


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