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भद्रकाली मंदिर में महाष्टमी पर दर्शनार्थियों की उमड़ी भीड़

संवाद सहयोगी इटखोरी (चतरा) नवरात्र की महाष्टमी के दिन बुधवार को ऐतिहासिक मां भद्रकाली

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 06:46 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 06:46 PM (IST)
भद्रकाली मंदिर में महाष्टमी पर दर्शनार्थियों की उमड़ी भीड़
भद्रकाली मंदिर में महाष्टमी पर दर्शनार्थियों की उमड़ी भीड़

संवाद सहयोगी, इटखोरी (चतरा) : नवरात्र की महाष्टमी के दिन बुधवार को ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर में दर्शन पूजन के लिए दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से लेकर शाम तक मंदिर परिसर में श्रद्धालु भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा। मां दुर्गा के पूजा पंडालों में भी दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ देखी गई। शारदीय नवरात्र में महाष्टमी की महत्ता को देखते हुए मां भद्रकाली मंदिर में सुबह चार बजे सबसे पहले माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया गया। माता की प्रतिमा को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का रूप दिया गया। इसके बाद करीब सवा घंटे तक विधान पूर्वक माता की श्रृंगार पूजा की गई। तत्पश्चात घी के दीए व कपूर से मां भद्रकाली की महाआरती उतारी गई। इस दौरान मंदिर का गर्भ गृह मां भद्रकाली के जयकारे से गुंजायमान होता रहा। श्रृंगार पूजा के वक्त मंदिर परिसर में नवरात्र का कलश स्थापित करने वाले भक्तों के अलावा बड़ी संख्या में दूरदराज के श्रद्धालु भी दर्शन पूजन के लिए पहुंचे हुए थे। मंदिर परिसर में महाष्टमी के दिन दर्शन पूजन का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। नवरात्र की महाष्टमी का उपवास रहने के कारण महाष्टमी के दिन मंदिर में प्रसाद का चढ़ावा नहीं हुआ। भक्तों ने पुष्प अर्पित कर दर्शन पूजन किया। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं ने पंचमुखी हनुमान, शनिदेव महाराज तथा सहस्त्र शिवलिग महादेव के मंदिर में भी जाकर पूजा अर्चना की। नवरात्र की महाष्टमी के दिन प्रखंड के दुर्गा पूजा पंडालों में भी श्रद्धालु भक्तों की अच्छी भीड़ देखी गई।

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नवरात्र की पूर्णाहुति पर होगा हवन

ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर परिसर में शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति पर गुरुवार को हवन का अनुष्ठान किया जाएगा। हवन का अनुष्ठान मंदिर के यज्ञशाला परिसर में होगा। मंदिर के पुजारी नागेश्वर तिवारी ने बताया कि गुरुवार को महानवमी के दिन मंदिर में दुर्गा सप्तशती का अंतिम पाठ करने के पश्चात नवरात्र के अवसर पर स्थापित कलश को महाने नदी में विसर्जित किया जाएगा। तत्पश्चात यज्ञशाला परिसर में हवन की आहुति देकर नवरात्र की पूर्णाहुति की जाएगी।


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