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सुहागिनों ने की कामना, सदा सलामत रहे सुहाग

बेरमो कोयलांचल के फुसरो करगली सुभाषनगर जवाहरनगर रामनगर नावाडीह सुरही तेलो अंगवाली चलकरी खेतको जारंगडीह जरीडीह बाजार कथारा बोकारो थर्मल स्वांग संडेबाजार कुरपनिया गोमिया साड़म होसिर तेनुघाट चांपी में भी महिलाओं ने हरितालिका तीज व्रत किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 09:15 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 09:15 PM (IST)
सुहागिनों ने की कामना, सदा सलामत रहे सुहाग
सुहागिनों ने की कामना, सदा सलामत रहे सुहाग

बेरमो : बेरमो कोयलांचल में शुक्रवार को महिलाओं ने निराहार-निर्जला उपवास रखकर पूरी तैयारी के साथ हरितालिका तीज व्रत किया। इस व्रत में सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना की। भंडारीदह में महिलाओं ने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए सोलह श्रृंगार कर पूजा की। साथ ही आचार्यो से शिव-पार्वती की कथा सुनी।

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वहीं, पिछरी ग्राम की महिलाओं ने स्थानीय पुराना शिव मंदिर में हरितालिका तीज की पूजा की। पुजारी जगदीश पांडेय वं सोनू पांडेय ने सभी सुहागिन व्रतियों को तीज व्रत की विशेषता बताते हुए कहा कि हरितालिका व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को किया जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और संतान की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं योग्य वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। यह व्रत पूरी तरह निर्जला उपवास रहकर करना चाहिए।

इस व्रत में बालू या मिट्टी से बने भगवान शिव एवं मां पार्वती के विग्रह की पूजा की जाती है। सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा के पश्चात भगवान शिव एवं पार्वती की पूजा की जाती है। अगले दिन विग्रह के विसर्जन के बाद पारण कर फल, मिठाई व पकवान ब्राह्मणों को दान कर आशीर्वाद लिया जाता है।

उधर, बेरमो कोयलांचल के फुसरो, करगली, सुभाषनगर, जवाहरनगर, रामनगर, नावाडीह, सुरही, तेलो, अंगवाली, चलकरी, खेतको, जारंगडीह, जरीडीह बाजार, कथारा, बोकारो थर्मल, स्वांग, संडेबाजार, कुरपनिया, गोमिया, साड़म, होसिर, तेनुघाट, चांपी में भी महिलाओं ने हरितालिका तीज व्रत किया। सुहागिनों ने दिनभर निर्जला उपवास रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए माता पार्वती एवं भगवान शंकर की पूजा की। तेनुघाट में महिलाओं को पुजारी राजू पांडेय ने बताया कि माता पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं, जिसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की। जबकि उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, तब पार्वतीजी की सखियों ने उनकी मदद की थी। सखियां अपहरण कर उन्हें जंगल में ले गईं। सखियों ने उनका हरण किया था, इसलिए इस व्रत का नाम हरितालिका तीज पड़ गया। मां पार्वती की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिया और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस पूजा में माता पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है। सुहागिन महिलाएं हरितालिका तीज के लिए नदी तट से बालू लाकर भगवान शिव व माता पार्वती सहित गणेशजी की प्रतिमा बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं। तेनुघाट में तीज व्रत कर पूजा करने वाली महिलाओं में रेखा सिन्हा, सुनीता सिन्हा, पूनम सिन्हा, शालिनी सिन्हा, ममता कटरियार, अनिता विश्वनाथन, जया विश्वनाथन, पूजा देवी आदि शामिल थीं।


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