सेलकर्मियों को पे रिवीजन का इंतजार
जागरण संवाददाता बोकारो सेलकर्मियों का पे रिवीजन बीते 42 माह से लंबित है। 30 जून को पे रि
जागरण संवाददाता, बोकारो: सेलकर्मियों का पे रिवीजन बीते 42 माह से लंबित है। 30 जून को पे रिवीजन को साढ़े तीन साल पूरे हो जाएंगे। बावजूद इसके अभी तक प्रबंधन व एनजेसीएस की ओर से इस मसले पर कोई सहमति नहीं बनी है। इससे आशंकित सेल कर्मचारी फिर से एक बार भत्ता के मद में होने वाले नुकसान को लेकर चितित हैं। साथ ही इस साल पे रिवीजन होने का सपना आधा-अधूरा रह जाएगा। कर्मियों को अभी तक 20 वर्ष के अंतराल में 11 वर्ष के भत्ते का नुकसान पहले ही हो चुका है। जैसे-जैसे पे रिवीजन में देरी हो रही है वैसे-वैसे उनके भत्ते के नुकसान बढ़ता जा रहा है। हालांकि कोरोना काल में देश में वापस लौटती अर्थव्यवस्था के बीच कई एनजेसीएस संगठन पे रिवीजन पर प्रदर्शन करते हुए फिर से एक बार सक्रिय हो गए है। लेकिन, गैर एनजेसीएस श्रमिक संगठन महज इसे मजदूरों के साथ एक छलावा बता रहे है। साल 2012 में जब सेलकर्मियों का पिछला वेतन समझौता हुआ था तो उन्हें 17 फीसद एमजीवी के साथ 6 फीसद पर्क्स देने पर सहमति बनी थी। तब उनके वास्तविक भत्ते में कोई वृद्धि नहीं की गई। आज भी सेलकर्मियों को पेट्रोल भत्ता के रूप में दोपहिया वाहन के एक हजार तथा चारपहिया वाहन के दो हजार रुपये प्रतिमाह मिलता है। इसी प्रकार ईंधन (गैस-सिलेंडर) भत्ता के रूप में 300 रुपये प्रतिमाह, कैंटीन भत्ता के 32 रुपये प्रतिदिन व रात्रि भत्ता के तौर पर 90 रुपये प्रतिमाह मिल रहा है। जबकि इसके विपरीत पेट्रोल, गैस सिलेंडर व खान-पान की वस्तुओं ने भत्ते की सीमा को पार कर दिया है। संयंत्रकर्मियोंको इस राशि के साथ उन बकाया भत्ते का भी नुकसान हो रहा है जो कि रिवीजन पर उन्हें एरियर के रूप में नहीं दिए जाते।
बता दें कि सेलकर्मियों को पे रिवीजन के समय सिर्फ उनके मूल वेतन के साथ महंगाई भत्ता को एरियर के साथ दिया जाता है। सेल में पिछले पे रिवीजन के समय सिर्फ चार मान्यता प्राप्त यूनियन इंटक, एटक, सीटू व एचएमएस एनजेसीएस में शामिल थी। बाद में साल 2015 को केंद्र में बीजेपी की सरकार के आने के बाद बीएमएस को भी एनजेसीएस में शामिल कर लिया गया। पांच-पांच श्रमिक संगठन के दल साढ़े तीन साल पूरे होने पर भी सेलकर्मियों का वेतन समझौता अब तक नहीं करा सके हैं। इससे संयंत्रकर्मियों का भरोसा अपने संगठन से उठता जा रहा है। जबकि सेल अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति इसी साल दिसंबर माह में है। इसके बाद पे रिवीजन की प्रक्रिया सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह जाएगी। ------------------------- अधिकारियों के बकाया भत्ता का मामला न्यायालय में लंबित : सेल अधिकारियों के पर्क्स के तौर पर 11 माह का भत्ता साल 2007 से बकाया है। जिसे लेकर सेफी की तत्कालीन कमेटी ने कोलकाता उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर रखी है। वही अनाधिशासियों के मामले में श्रमिक संगठन के नेता भत्ते के मामले में लिखित समझौता कर उसके बकाया प्राप्त करने का अधिकार खो चुकी है। बताया जाता है कि सेल में अफसरों को पर्क्स के तौर पर उनके बेसिक का 46 फीसद राशि दी जाती है। जबकि कर्मचारियों को इस मद में मूल वेतन का मात्र 6 फीसद रकम दिया जाता है। सेल में 1997 में हुए वेतन समझौते में देरी से कर्मियों को 64 माह 2007 में 41 माह तथा 2012 में 30 माह के एरियर का नुकसान भत्ते के तौर पर पहले ही हो चुका है। जो कि साल 2017 में अब तक 42 माह तक पहुंच गया है। वर्जन : सेलकर्मियों के पे रिवीजन में सबसे बड़ी बाधा एनजेसीएस श्रमिक संगठन है। एकजुट होकर आंदोलन करने के बजाए वे अलग-अलग प्रदर्शन कर मजदूरों को गुमराह कर रहे हैं, ऐसा अब नहीं चलेगा। श्रमिकों के अधिकार के लिए अब गैर एनजेसीएस श्रमिक संगठन इस लड़ाई को लड़ेगा। 30 जून को संगठन की ओर से नगर सेवा भवन पर प्रदर्शन किया जाएगा।
बीके चौधरी, महामंत्री, जय झारखंड मजदूर समाज।