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कहने को शहरी, गांव का शुद्ध पानी नसीब नहीं

फुसरो (बेरमो) बेरमो कोयलांचल के फुसरो नगर स्थित वार्ड-6 में है ताराबेड़ा जहां के लोग

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:28 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 12:28 PM (IST)
कहने को शहरी, गांव का शुद्ध पानी नसीब नहीं
कहने को शहरी, गांव का शुद्ध पानी नसीब नहीं

फुसरो (बेरमो) : बेरमो कोयलांचल के फुसरो नगर स्थित वार्ड-6 में है ताराबेड़ा, जहां के लोग शहरी कहलाने के बावजूद बदहाली का दंश झेल रहे हैं। इस आदिवासी बहुल टोला के लोगों को नगरीय सुविधाएं तो दूर ग्रामीण इलाके की सहूलियत भी उपलब्ध नहीं है। घने जंगलों के बीच बसे लगभग 500 आबादी वाले ताराबेड़ा जाने-आने के लिए सड़क की जगह सीसीएल की ओर से माइंस के लिए डोजरिग कर बनाए गए कच्चा रास्ता है। आज भी यह टोला विकास की बाट जोह रहा है। यहां स्वास्थ्य, शिक्षा व पेयजल का अभाव है। यहां के अधिकतर लोग दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित है।

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-इलाज कराने जाना पड़ता फुसरो : यहां बीमार होकर अपने घर के बाहर खाट पर लेटीं शकुंतला देवी दिखीं। उन्होंने कहा कि इस इलाके में उपचार की सुविधा नहीं है। इलाज कराने सात किलोमीटर दूर फुसरो स्थित अनुमंडलीय अस्पताल जाना पड़ता है। आवागमन का कोई साधन नहीं है। बीमार पड़ने पर बाइक से या तो खाट पर लादकर फुसरो मरीज को ले जाना पड़ता है।

नाली का पानी पीत व पकाते खाना : ताराबेड़ा में जलापूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है। देवेंद्र टुडू, अंजलि देवी व सुलोचना देवी ने बताया कि नगर परिषद की ओर से यहां तीन-चार चापाकल लगाए गए हैं। इसमें पानी नहीं निकलता है। इस कारण करीब एक किलोमीटर दूर स्थित गंदे नाले का पानी लाकर यहां के लोग पीते व खाना पकाते हैं।

यहां पक्की सड़क नहीं :

चारों तरफ घने जंगलों व पहाड़ियों के बीच बसे इस टोले में पक्की सड़क नहीं है। इस कारण सीसीएल के माइंस वाले कच्चे रास्ते तक पहुंचने के लिए पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है।

-किसी को भी नहीं मिला पीएम आवास : ताराबेड़ा में अधिकतर मकान मिट्टी व खपरैल के हैं। देवंती देवी व सुलोचना देवी ने बताया कि उन लोगों सहित अन्य किसी को भी पीएम आवास के लिए स्वीकृति नहीं मिली है। नगर परिषद कार्यालय जाने पर पीएम आवास देने का केवल आश्वासन मिलता रहा है।

-सिर्फ चुनाव के दौरान आते नेता : ताराबेड़ा के लोगों ने बताया कि इस टोला का न तो जनप्रतिनिधि सुध लेते हैं और नहीं प्रशासनिक अधिकारी। सिर्फ चुनाव के दौरान नेता आते हैं और वोट मांगते हैं। यहां के लोगों की परेशानियों को दूर करने की सार्थक पहल नहीं की जा रही है।

-एक पारा शिक्षक के भरोसे स्कूल : ताराबेड़ा में बच्चों की शिक्षा के लिए एकमात्र नवप्राथमिक विद्यालय है। महज एक पारा शिक्षक पूरण मांझी के भरोसे संचालित है। पहली कक्षा से पांचवीं तक के लगभग 50 बच्चों को वे अकेले ही पढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि मध्य एवं उच्च विद्यालय काफी दूर रहने के कारण यहां के अधिकतर बच्चे पांचवीं कक्षा तक की ही पढ़ाई कर पाते हैं।

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वर्जन

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ताराबेड़ा के चार-पांच लाभुकों को दिया गया है। अन्य लोगों की ओर से कागजात जमा नहीं किए जाने के कारण लाभ नहीं दिया जा सका है। 47 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन जलापूर्ति योजना से ताराबेड़ा को भी जोड़ा जाएगा, जिससे वहां पानी की समस्या दूर हो जाएगी।

- राकेश कुमार सिंह, चेयरमैन, नगर परिषद फुसरो


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