टंकी बनी पर पानी नहीं, स्वास्थ्य केंद्र बना सुविधाएं नहीं
बोकारो बोकारो इस्पात नगर के सेक्टर 12 स्थित जैप चार के निकट से गरगा नदी गुजरती है। नदी
बोकारो : बोकारो इस्पात नगर के सेक्टर 12 स्थित जैप चार के निकट से गरगा नदी गुजरती है। नदी पार करने के बाद पहाड़ी की तलहटी से होकर गुजरने के बाद सतनपुर गांव है। पहाड़ी के नजदीक यह गांव प्रकृति से काफी निकट है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गांव चर्चित था। इस गांव के निवासी जगबंधु भट्टाचार्य स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा थे। उन दिनों वे पश्चिम बंगाल व ओड़िशा के स्वतंत्रता सेनानियों के संपर्क में थे। उन्होंने सतनपुर गांव में गीता भवन का निर्माण किया था। यहां स्वतंत्रता सेनानियों की गुप्त बैठक होती थी। देश की आजादी की लड़ाई से संबंधित रणनीति तैयार होती थी। साथ ही आध्यात्मिक कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को न केवल देश की सभ्यता व संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जाता , अपितु इन्हें अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया जाता था। जगबंधु जेल भी गए। देश की आजादी के पश्चात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र देकर इन्हें सम्मानित किया। इस गांव के लोग आज भी देश की आजादी की लड़ाई में इनके योगदान को याद करते हैं। स्वतंत्रता के पश्चात गांव के लोगों को यह उम्मीद थी कि सतनपुर का काया-कल्प होगा। यहां विकास की गति को तीव्र किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जन प्रतिनिधि भी यहां केवल वोट मांगने के लिए ही आते हैं। आज भी इस गांव में समस्याओं का अंबार है। इससे लोग खासे परेशान हैं।
-स्वास्थ्य सेवा एवं पेयजल की समस्याओं से जूझ रहे लोग
सतनपुर गांव में 2010-11 में लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर एक टंकी का निर्माण कराया गया। बोरिग के माध्यम से टंकी तक पानी पहुंचाया जाता था। इसके माध्यम से लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी। लेकिन दो-तीन वर्ष बाद ही मोटर जल जाने से पानी की आपूर्ति बाधित हो गई। टंकी भी जर्जर होने लगी। ग्रामीणों से संबंधित विभाग के अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया। लेकिन अब तक इसे दुरुस्त नहीं कराया जा सका है। यहां स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना नहीं की गई है। इसलिए बीमार ग्रामीणों केा चास या बोकारो के अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया जाता है।
-बेकार हो रहे चेक डैम
सतनपुर कृषि प्रधान गांव है। यहां अधिकतर लोग खेती करते हैं। लेकिन सिचाई की व्यवस्था नहीं होने से खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। सरकारी स्तर पर कुद स्थलों पर चेक डैम बनवाए गए। लेकिन यहां पानी नहीं ठहरता है। इसलिए वे बेकार साबित हो रहे हैं। किसान अपने स्तर से नजदीक के तालाब से पानी की व्यवस्था करते हैं। यहां बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है। रोजगार के अभाव में वे दूसरे राज्यों में पलायन करने को बाध्य हैं। कई युवा बोकारो व चास में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। यहां सरकारी स्तर पर तालाब का निर्माण कराया गया है। लेकिन यहां घाट नहीं बनाया गया है। इसलिए लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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सतनपुर गांव में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए बीमार ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन्हें इलाज के लिए बोकारो व चास के अस्पताल में ले जाया जाता है। यहां समस्याओं का अंबार है।
दुलाल चंद ठाकुर, ग्रामीण सतनपुर
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स्वतंत्रता सेनानी जगबंधु भट्टाचार्य ने देश की आजादी की लड़ाई में योगदान किया। जनप्रतिनिधि इस गांव की सुध तक नहीं लेते हैं। यहां के ग्रामीण पेयजल, बिजली आदि की समस्याओं से जूझ रहे हैं। बेरोजगारों की फौज बढ़ रही है।
महादेव महादानी, ग्रामीण सतनपुर
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इस गांव के अधिकतर लोग खेती पर निर्भर हैं। लेकिन खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए मुक्कमल व्यवस्था नहीं की गई है। सभी चेक डैम बेकार साबित हो रहे हैं। गरगा के बहते पानी को खेतों तक पहुंचाने को लेकर किसी जन प्रतिनिधियों ने प्रयास नहीं किया।
तरुण मल्लिक, ग्रामीण सतनपुर
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गांव में टंकी का निर्माण कराया गया। इसके माध्यम से पेयजल की सुविधा प्रदान की गई। लेकिन अब यह शोभा की वस्तु बन कर रह गया है। गांव में तालाब का निर्माण कराया गया। लेकिन इसमें घाट नहीं बनाया गया। इसलिए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बी ठाकुर, ग्रामीण सतनपुर