महंगाई भत्ता रोकने पर अधिकारी व कर्मचारी संगठन आमने-सामने
जागरण संवाददाता बोकारो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में अधिकारियों के मह
जागरण संवाददाता, बोकारो : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में अधिकारियों के महंगाई भत्ता पर रोक का मामला अब गरमाता जा रहा है। इस मसले पर जहां एनसीओ ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है, वही सेफी ने शुक्रवार को इस्पात सचिव को पत्र लिखकर सेल कर्मचारियों की तुलना में अफसरों के डीए फ्रीज के लिए गए निर्णय को भेदभाव का अंतर बताया है। इसके बाद से श्रमिक संगठन के नेता सेफी के विरोध में खुल कर सामने आ गए है।
किम्स एचएमएस के महामंत्री एनजेसीएस सदस्य राजेंद्र सिंह ने सेफी के इस प्रस्ताव की तीव्र निदा की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सेफी को माफी मांगनी चाहिए। सेल के उत्पादन में जो खून पसीना कर्मचारियों ने बहाया है। उसका लाभ अधिकारी संगठन अब संयंत्रकर्मियों से तुलना करके लेना चाहते है। कंपनी में कामगारों का पे रिवीजन पहले ही बीते चार साल से लंबित है। ऐसे में उनके डीए पर कोई संकट आता है तो सेल में हड़ताल होना तय है। जिसकी सारी जवाबदेही सेफी व सेल प्रबंधन की होगी।
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सेफी ने क्या दिया प्रस्ताव : सेल अधिकारियों के महंगाई भत्ता को दोबारा शुरू करने के लिए सेफी ने कई प्रस्ताव इस्पात सचिव को पत्र के माध्यम से दी है। इनमें कहा गया है कि अफसरों को पे रिवीजन साल 2007 से ही लंबित है। जबकि कर्मचारियों को वेतन समझौते का लाभ 2012 से ही दिया गया है। सेल के अधिकारी प्रतिदिन लगभग 12 घंटे की कठिन ड्यूटी करते है एवं विशेष परिस्थिति जैसे हड़ताल एवं भारत बंदी के दौरान चौबीसों घंटे उत्पादन के लिए तैयार रहते है। सेलकर्मियों को कंपनी के घाटे व मुनाफे हर दौर में बोनस का भुगतान किया जाता है। जबकि अधिकारियों को सिर्फ कंपनी के लाभ में होने पर ही पीआरपी की राशि दी जाती है। लीव इनकैशमेंट का दायरा कर्मचारियों के लिए मात्र 170 दिनों के लिए रखा रखा गया। जबकि अधिकारी के लिए इसकी संख्या 270 की गई है। कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रति माह प्रोत्साहन पुरस्कार का लाभ दिया जा रहा है एवं अधिकारी इस सुविधा से वंचित है।
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वर्जन:
सेलकर्मियों के महंगाई भत्ता पर रोक लगाने का मामला काफी दुभाग्यपूर्ण है। इसे किसी हालत में कंपनी में लागू नही होने दिया जाएगा। यदि इस पर पहल होती है तो यूनियन केंद्रीय इस्पातमंत्री से मिलकर मसले का समाधान करेगी।
राजेश अग्रवाल
महामंत्री, इस्पात श्रमिक मंच।