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अब फरियादियों से थाने में गलत हुआ व्यवहार.. तो नपेंगे थानेदार

बोकारो : थाने में पासपोर्ट जांच से लेकर मोबाइल गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने समेत अन्य कार्यो क

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jan 2018 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jan 2018 03:01 AM (IST)
अब फरियादियों से थाने में गलत हुआ व्यवहार.. तो नपेंगे थानेदार
अब फरियादियों से थाने में गलत हुआ व्यवहार.. तो नपेंगे थानेदार

बोकारो :

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थाने में पासपोर्ट जांच से लेकर मोबाइल गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने समेत अन्य कार्यो के लिए जाने वाले लोगों से अब पुलिस कंट्रोल रूम फीडबैग लेगा। फरियादियों से पूछा जाएगा कि थाने में जाने के बाद उनसे कैसा व्यवहार हुआ। समस्या का समाधान हुआ कि नहीं। थाने में मौजूद पुलिस वालों के व्यवहार से आप संतुष्ट हैं या नहीं। जनता से मिले ऐसे ही प्रश्नों के जवाब का मासिक ब्योरा कंट्रोल रूम में तैनात सीसीआर डीएसपी रजत माणिक बाखला एसपी कार्तिक एस को देंगे। थाने की कार्यशैली को लेकर जनता से मिले प्रश्नों के जवाब पर ही थानेदार या फिर यहां तैनात अन्य पुलिस कर्मियों की काबिलीयत आंकी जाएंगी। असंतोषजनक कार्यशैली पर कार्रवाई भी होगी।

यह व्यवस्था हैलो पुलिस नामक साफ्टवेयर के माध्यम से मॉनिटर होगी। शुक्रवार को जोनल आइजी शंभू ठाकुर ने इस साफ्टवेयर का उदघाटन करने के बाद बताया कि बोकारो एसपी कार्तिक एस ने बतौर लोहरदगा एसपी इस साफ्टवेयर का सफल संचालन किया था। बोकारो में इसकी शुरुआत के बाद इसे धनबाद के अलावा जोन के अन्य जिलों में भी लागू करने का आदेश देंगे।

बताया कि लापता व्यक्ति, सर्टिफिकेट गुमशुदगी, पासपोर्ट सत्यापन, चरित्र सत्यापन, शस्त्र, नौकरी से लेकर भाड़ेदार या पेइंग गेस्ट के सत्यापन, मोबाइल गुमशुदगी की रिपोर्ट, वाहन चोरी से लेकर अन्य समस्याएं लेकर थाने पहुंचने वाले लोगों से फीडबैक लिया जाएगा। सात दिनों के अंदर इसका निस्तारण कर देना है।

सिटी थाना से होगी शुरुआत..

आइजी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे पहले सिटी थाना में शुरू किया गया है। धीरे-धीरे शहर के सभी थानों के अलावा पूरे जिले में इसका विस्तार किया जाएगा। कार्यक्रम में कोयला क्षेत्र के डीआइजी प्रभात कुमार, बोकारो एसपी कार्तिक एस, धनबाद एसएसपी मनोज रतन चौथे, सिटी एसपी धनबाद पीयूस पाण्डेय, ग्रामीण एसपी धनबाद आशुतोष शेखर, एसडीपीओ बेरमो सुभाष चंद्र जाट, समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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---हैलो पुलिस में ऐसे होगा काम--- जिला पुलिस अपने नए साफ्टवेयर में थाने पहुंचने वाले फरियादियों का ब्योरा दर्ज करेगी। इसमें नाम से लेकर पिता का नाम और पूरा पता के साथ मोबाइल नंबर दर्ज किया जाएगा। थाना आने की वजह भी इसमें लिखी जाएगी और तुरंत एक पावती दी जाएगी। पावती मिलने के सात दिनों के अंदर फरियादियों का काम निष्पादित करने की ड्यूटी थाने के वैसे पदाधिकारियों की होगी जिनको जवाबदेही दी गई है।

पुलिस कंट्रोल रूम इस साफ्टवेयर में दर्ज ब्योरे की मॉनिट¨रग करता रहेगा। सात दिनों बाद कंट्रोल रूम से फीडबैक लिया जाएगा। थाना पहुंचे लोगों के ब्योरे से लेकर पुलिस की पूरी कार्यशैली परखने का यह एक अच्छा माध्यम बताया जा रहा है।

--सजा दिलाने के लिए विशेष अनुसंधान व अभियोजन इकाई--- आइजी ने अनुसंधान करने के बाद शत प्रतिशत गंभीर मामलों में अपराधियों को सजा दिलाने के लिए एसपी कार्तिक एस की ओर से बनाई गई स्पेशल इंवेस्टिगेशन एंड प्रोसिक्यूशन यूनिट (विशेष अनुसंधान व अभियोजन इकाई) का भी उदघाटन किया। कप्तान के पर्यवेक्षण में कार्यरत इस यूनिट के नोडल अधिकारी रजत माणिक बाखला और प्रभारी माराफारी इंस्पेक्टर राजीव कुमार को बनाया गया है। इस यूनिट के तहत बोकारो व तेनुघाट में दो कोर्ट प्रभारी, 24 कोर्ट नोडल अधिकारी, व 22 विशेष आइओ नियुक्त किए गए हैं।

-अनुसंधानकर्ता को रखा जाएगा विधि व्यवस्था की ड्यूटी से अलग--- गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए जिन 22 पुलिस अधिकारियों का चयन जिलेभर से किया गया है, उन्हें विधि व्यवस्था की ड्यूटी से अलग रखा जाएगा। इन्हें केवल ठोक बजाकर गंभीर मामलों के अनुसंधान की जिम्मेवारी ही सौंपी गई है। ऐसे साक्ष्य खोजने का आदेश मिला है जो अकाट्य हो और अपराधियों को सजा दिलाने में मददगार साबित हो। लोहरदगा में बतौर एसपी कार्तिक एस ने इसका सफल प्रयोग किया था। यहां वर्ष 2016 में 106 मामलों में कुल 232 आरोपियों को सजा मिली थी। इनमें 60 ऐसे थे जिनको आजीवन कारावास की सजा अदालत से मिली। यह सब बेहतर अनुसंधान के साथ-साथ अभियोजन को समय से मजबूती देने की वजह से संभव हो सका।

--ऐसे काम करेगी यूनिट --- यूनिट के नोडल अधिकारी डीएसपी के अधीन एक इंस्पेक्टर होंगे। इंस्पेक्टर का काम अपने नीचे वाली इकाइयों के कार्यो पर नजर रखने की होगी। बोकारो व तेनुघाट में दो-दो सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों की तैनाती होगी। कोर्ट से निकलने वाले वारंट से लेकर सम्मन या फिर अन्य कागजातों को संबंधित थानों तक पहुंचाने से लेकर समय से गवाही सुनिश्चित कराना इनकी जबावदेही होगी।

कोर्ट में तैनात अधिकारी लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के संपर्क मे रहेंगे। गलत गवाही देने वाले पुलिस वालों के खिलाफ भी यह टीम ही रिपोर्ट करेगी। थाने से कोर्ट के लिए तैनात अधिकारी भी इस टीम के लगातार संपर्क में रहेंगे। गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान पर भी नजर रखने की जबावदेही पूरी टीम की होगी।


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