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तुपकाडीह रेलवे स्टेशन पीने को मयस्सर नहीं पानी, शौचालय में ताला

जैनामोड़ मौसम का तापमान बढ़ने के साथ ही लाखों रुपये सालाना मुनाफा देने वाला आद्रा मंडल के

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 11:56 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 11:56 PM (IST)
तुपकाडीह रेलवे स्टेशन पीने को मयस्सर नहीं पानी, शौचालय में ताला
तुपकाडीह रेलवे स्टेशन पीने को मयस्सर नहीं पानी, शौचालय में ताला

जैनामोड़ : मौसम का तापमान बढ़ने के साथ ही लाखों रुपये सालाना मुनाफा देने वाला आद्रा मंडल के तुपकाडीह रेलवे स्टेशन पर पेयजल का संकट गहराने लगा है। यात्रियों के पेयजल सुविधा के नाम पर प्लेटफॉर्म संख्या-एक पर मात्र एक चापाकल है, जो यात्रियों की प्यास बुझाने के काम आता है। जबकि, यात्रियों की सुविधा को लेकर प्लेटफार्म संख्या-एक और दो पर मार्बल जड़ा प्याऊ बनाया गया है, लेकिन आज तक उस प्याऊ से पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी, जो कहीं न कहीं रेलवे की जवाबदेही अधिकारियों की इच्छा शक्ति में कमियों को बयां करता है। प्लेटफॉर्म पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां से आवागमन करने वाले यात्रियों को पानी की कमी अक्सर खलती है। प्लेटफॉर्म संख्या-एक पर पानी पीने के लिए एक जर्जर चापाकल है, जो मटमैला पानी उगलता है। कभी-कभार लाइन में दिक्कत या फिर अन्य कारणों से ट्रेन ज्यादा समय के लिए रोक दी जाती है तो इस स्टेशन पर पेयजल की भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वैसे तुपकाडीह रेलवे स्टेशन में 500 लीटर क्षमता की तीन-तीन पानी की टंकी रखी गई है, लेकिन इसका लाभ यात्रियों को नहीं मिल पाता है। ऐसे में, प्लेटफार्म एक हो या दो, ट्रेन के रूकने पर यात्री एक चापाकल से पानी लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। स्टेशन पर एक कुआं भी भी है, लेकिन गंदा होने के कारण इसका उपयोग पानी पीने के लिए लोग नहीं करते। वहीं, रेलवे स्टेशन पर रहने वाले कर्मी दूसरे कुएं से भरकर या फिर खरीदकर पीते हैं। जबकि इसी स्टेशन से रेलवे कर्मियों के क्वार्टर में पानी की सप्लाई की जाती है, लेकिन यात्रियों को पानी की सुविधा को लेकर किसी का ध्यान नहीं है। तुपकाडीह रेलवे स्टेशन पर पानी की किल्लत को देखते हुए स्टेशन प्रबंधन की ओर से प्लेटफॉर्म में बने शौचालय में ताला मार दिया गया है।

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फिलहाल, यात्रियों की पेयजल सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्लेटफॉर्म संख्या-एक पर पंप हाउस का निर्माण किया जा रहा है। जहां डीप बोरिग के माध्यम से स्टेशन एवं कर्मियों के क्वार्टरों में पानी की आपूर्ति की जा सके, लेकिन यह योजना भी कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है। अगर योजना के क्रियान्वयन की गति ऐसी ही रही तो इस साल पानी की आपूर्ति होने में संशय है। देखा जाए तो पानी की कमी की मार न सिर्फ यहां यात्री झेल रहे हैं बल्कि रेलवे कर्मी भी हलकान है।


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