बंद पिछरी कोलियरी को चालू करने की कवायद शुरू
पिछरी (बेरमो) सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र की वर्षों से बंद पड़ी पिछरी कोलियरी चालू करने को प्रब
पिछरी (बेरमो) : सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र की वर्षों से बंद पड़ी पिछरी कोलियरी चालू करने को प्रबंधन रेस हो गया है। कोलियरी चालू करने से पहले रैयतों एवं विस्थापियों की शिफ्टिग को लेकर मंगलवार को कोलियरी से सटे गांव टुंगरी कुल्ही में सीसीएल ढोरी की सर्वे टीम के अधिकारियों ने घरों को चिन्हित किया। इस दौरान अधिकारियों ने घरों की मापी, सदस्यों की सूची व घरों का मूल्याकंन कार्य किया। सर्वे टीम के पीएंडपी आशीष अंचल ने बताया कि मापी की शुरुआत तेजलाल सिंह के घर से हुई है। कहा कि घर के मापी का कार्य अभी एक माह तक चलेगा। मापी में घर के वर्तमान स्थिति व घर में बने कुआं, पेड़ आदि की रिपोर्ट दर्ज की जायेगी। सभी रैयत जिनको शिफ्ट किया जा रहा है वह बैंक में अपना खाता खुलवाने का कार्य शुरू कर दे। ताकि मुआवजा देने में कोई परेशानी ना हो। विस्थापित मोर्चा के संरक्षक सह आजसू पार्टी के नेता काशीनाथ सिंह ने कहा कि प्रबंधन रैयतों की जमीन पर अवैध ढंग से कब्जा कर उत्खनन करती है। प्रबंधन के इस नीति के वजह से जो जमीन का मालिक है वह अपने अधिकार एवं हक के लिए जूझ रहा है। यहां के रैयत को हक व अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन कर प्रबंधन के साथ लंबी लड़ाई लड़ने के बाद हमारी मांग को सही मानकर आज सीसीएल प्रबंधन ने सर्वे टीम भेजकर घर की मापी करा रहे है। रैयतों को पुर्नवास स्थल में बसाने के बाद ही गांव को हटाया जाएगा। वहीं विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुनर्वास के लिए एक परिवार को तीन लाख मुआवजा या पांच डिसमिल भूमि देने का प्रावधान है। सीसीएल सूत्रों की माने तो पिछरी परियोजना में तत्काल खनन योग्य दो लाख टन कोयला का भंडार है। साथ ही खदान के विस्तार की संभावना भी असीमित है। मौके पर ओवरसीयर बीजे सरकार, ओवरमेन ब्रजेश कुमार सिंह व सहायक सर्वेयर मौसम मिश्रा, दक्षिणी पंचायत के पूर्व मुखिया लक्ष्मण सिंह, आशीष पाल, काली सिंह, निर्मल चौधरी, संजय मल्लाह, गोपाल मल्लाह, मनोज सिंह, बालो सिंह, बद्री सिंह, कजली देवी सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे।
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बाक्स मैटर : सीसीएल ने कोलियरी राष्ट्रीयकरण के दौरान इसे श्रीराम एंड कंपनी से अधिग्रहित किया था। इसके बाद लगभग 30-35 वर्षों तक कोलियरी बेहतर तरीके से चली। वर्ष 2002-03 के दौरान सीसीएल ने इसे बंद कर दिया। वर्ष 2015 में पहली बार पिछरी खदान के लिए वहां के करीब 250 रैयतों की 500 एकड़ से अधिक जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। कंपनी ने कोल बेयरिग (सीबी) एक्ट के तहत रैयतों को मुआवजा सहित नौकरी देने का निर्णय लिया।