मरेगी संवेदना तो दम तोड़ती रहेगी बसंती
--बोकारो में हर वर्ष आधा दर्जन महिलाओं की प्रसव के दौरान हो रही है मौत -गांव से लेकर श
--बोकारो में हर वर्ष आधा दर्जन महिलाओं की प्रसव के दौरान हो रही है मौत
-गांव से लेकर शहर तक निजी अस्पताल के दलाल, सरकारी सिस्टम को रेफरल पर भरोसा जागरण टीम, बोकारो : बोकारो जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी लचर है कि यहां कोई गर्भवती महिला तब तक अपने को सुरक्षित नहीं समझती, जब तक कि उसका प्रसव नहीं हो जाता है। रविवार की सुबह कसमार की बसंती की मौत यहां पहली घटना नहीं है जिसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मी की संवेदनहीनता सामने आई है। यहां तो प्रतिवर्ष आधा दर्जन महिलाओं की मौत अव्यवस्था के कारण हो जाती है। जिला स्वास्थ्य विभाग के पास बड़े-बड़े भवन हैं पर उस भवन में इलाज करने वाले डॉक्टर नहीं हैं। जो अच्छे डॉक्टर हैं जुगाड़ तकनीक से ऐसी पोस्टिग करा लेते हैं कि उन्हें कोई काम नहीं करना पड़े।
रविवार को जब कसमार की 19 वंर्षीय गर्भंवती महिला बसंती की मौत हुई है तो स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ है। जिले में सदर अस्पताल को छोड़ दिया जाए तो एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या अनुमंडल अस्पताल ऐसा नहीं है जहां सिजेरियन प्रसव सामान्य रूप से कराया जा सके। कहीं एनेस्थेटिक चिकित्सक नहीं है तो कहीं ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सुविधा नहीं होती है। इसके बावजूद जिले का दुर्भाग्य है कि कोई जनप्रतिनिधि इस अव्यवस्था को मुद्दा नहीं बनाता । 33 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर है : ठेका के लिए भवन बनाया गया पर मरीज व चिकित्सक का अनुपात ठीक नहीं किया गया। जिले में 40 पुरुष व 36 महिला चिकित्सक हैं। जबकि जिले की आबादी लगभग 24 लाख है। ऐसे में प्रत्येक एक लाख की आबादी पर तीन ही चिकित्सक काम कर रहे हैं। खास कर सुदूरवर्ती प्रखंडों में कोई भी चिकित्सक नहीं है रात्रि में चिकित्सा पदाधिकारी को छोड़ दे तो कोई देखने वाला नहीं है। ---------
1. चास प्रखंड : यहां अनुमंडलीय अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 8 चिकित्सक पदस्थापित हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से मरीजों को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है तो अनुमंडलीय अस्पताल में दिन के मरीजों को टारगेट के हिसाब से देखा जाता है वरना सीधा सा बहना है बच्चे की स्थिति ठीक नहीं है जल्द बाहर ले जाएं।
2. चंदनकियारी : चंदनकियारी के किसी भी सरकारी अस्पताल या निजी अस्पताल में सिजेरियन की व्यवस्था या प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित नही है। गर्भवती का जीवन व संस्थागत प्रसव बोकारो के निजी अस्पताल व धनबाद के भरोसे है।
3. जरीडीह : सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व अनुमंडलीय अस्पताल एक साथ चलता है कागज पर सिजेरियन की व्यवस्था है पर यहां गर्भवती महिलाओं को रेफर करने में ही विभाग को भरोसा है।
4. पेटरवार : पेटरवार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सामान्य प्रसव की व्यवस्था तो है पर सिजेरियन या गंभीर मरीज की स्थिति में लोग हाथ खड़े कर देते हैं।
5. गोमिया : गोमिया में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन यहां कोई प्रसूति रोग विशेषज्ञ स्थापित अभी फिलहाल नहीं है अगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोमिया में कोई ऐसा केस आता है तो उसे सदर अस्पताल बोकारो रेफर कर दिया जाता है । अनुमंडल अस्पताल में भी यही स्थिति है।
6. बेरमो : बेरमो में अनुमंडलीय अस्पताल है लेकिन। यहां प्रसूति रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. फ्लोरिया होरो पदस्थापित। संसाधन के अभाव के कारण बड़ा ऑपरेशन नही हो पाता है, छोटे स्तर पर ऑपरेशन किया जाता है। क्रिटिकल केस आता है तो उसे सदर अस्पताल बोकारो रेफर कर दिया जाता है।
7. कसमार : कसमार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सामान्य प्रसव की व्यवस्था तो है पर सिजेरियन या गंभीर मरीज की स्थिति में लोग हाथ खड़े कर देते हैं। शाम पांच बजे के बाद यहां किसी भी प्रकार के मरीज को देखने वाले लोग नहीं है।
8. नावाडीह : पूरे प्रखंड के लिए दो पुरुष व तीन महिला चिकित्सक हैं। जो सामान्य इलाज व सामान्य प्रसव कराने में सक्षम तो हैं पर संसाधन का अभाव बताकर सिजेरियन आपरेशन यहां नहीं होता है।
9 . चंद्रपुरा : प्रखंड बने हुए लगभग 6 वर्ष हो गया पर स्वास्थ्य विभाग के खाते में यह अब तक नहीं चढ़ा है इसलिए यहां सीएचसी का निर्माण नहीं हो सका है। बेरमो के भरोसे सिस्टम चल रहा है।
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-- हटाई गई सहिया, बसंती की मौत की जांच का आदेश
जासं, बोकारो : कसमार प्रखंड के कुरको निवासी गर्भवती महिला बसंती देवी की मौत को गंभीरता लेते हुए उपायुक्त राजेश सिंह ने जांच का आदेश देते हुए सिविल सर्जन से रिपोर्ट तलब किया है। सिविल सर्जन ने संबंधित गांव की सहिया को तत्काल हटाने एवं महिला की चेकअप करने वाली एएनएम से कारणपृच्छा करने का निर्देश दिया है।
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कोट :
किसी भी गर्भंवती या बच्चे की मौत गंभीर मामला है। इसके लिए दोषियों पर कार्रवाई होगी। सहिया व एएनएम की गलती के कारण ऐसा हुआ। यदि समय रहते उसे उचित इलाज मिल जाता तो शायद ऐसा नहीं होता। भविष्य में ऐसा नहीं हो इसके लिए सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को विशेष ध्यान रखने का निर्देंश दिया गया है।
डॉ. अशोक कुमार पाठक, सिविल सर्जन बोकारो।