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लुगूबुरू से जुड़ा है संथाल आदिवासियों का गौरवशाली अतीत

जागरण संवाददात बेरमो हेमंत सरकार के लुगूबरू क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने की घोषणा के बाद लोगों में हर्ष व्याप्त है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 12:36 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 12:36 AM (IST)
लुगूबुरू से जुड़ा है संथाल आदिवासियों का गौरवशाली अतीत

जागरण संवाददात, बेरमो : हेमंत सरकार के लुगूबरू क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने की घोषणा के बाद से स्थानीय लोगों एवं संथाली आदिवासियों में खुशी की लहर है। देश-विदेश में फैले संथाली आदिवासियों के आस्था का केंद्र लुगूबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड के ललपनिया क्षेत्र में स्थित है। लुगूबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ से संथाली आदिवासियों का गौरवशाली अतीत जुड़ा है। यहीं पहाड़ पर लुगू बाबा का मंदिर स्थित है, संथाल आदिवासी मानते हैं कि लुगूबुरू पहाड़ में संत लुगू बाबा को मरांग बुरू के दर्शन हुए थे। यहीं पर ही संथालियों के सामाजिक संविधान की रचना हुई थी। लुगू बाबा ने संथाल आदिवासियों को अपने रीति रिवाज व पूजा पाठ की व्यवस्था से अवगत कराया। संदेश दिया कि जहां भी रहें अपनी भाषा व संस्कृति को न छोड़ें। यही वजह है कि संथाल आदिवासी दुनिया में कहीं भी रहें अपनी भाषा और संस्कृति का सहेजे हैं। संथाली आदिवासियों के आराध्य देव मारांगबुरू हैं। मारांग यानी बड़ा व बुरू मतलब पहाड़। बड़े पहाड़ में रहने वाले देवता। पारसनाथ पहाड़ में इनका वास माना जाता है। यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय धर्म सम्मेलन होता है। उस सम्मेलन को राज्य सरकार की ओर से राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया गया है, जिसमें देश-विदेश के कई लाख संथाली श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस धर्मस्थल के प्रति संथालियों की असीम आस्था है।

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जीवन में एक बार जरूर आता है संथाल आदिवासी : संथाल समाज के लोग मानते हैं कि प्रत्येक संथाली आदिवासी को जीवनकाल में एक बार यहां आना आवश्यक है। यदि किसी कारणवश वह अपने जीवन में नहीं आ सका तो कम से कम उसकी मृत्यु के उपरांत उसके परिवार के सदस्य उसकी अस्थियां यहां दामोदर नदी में विसर्जित करें। संथालियों के हर संविधि-विधान एवं कर्मकांड में लुगूबुरू का जिक्र है। इस समुदाय के लोकनृत्य एवं लोकगीत बिना घंटाबाड़ी के जिक्र के पूर्ण नहीं होते, जो लुगुबुरू के प्रति इनकी अटूट आस्था व विश्वास का प्रतीक है।

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बाक्स मैटर

लुगूबुरु घंटाबाड़ी को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा का स्वागत

- समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने जताई खुशी, मुख्यमंत्री का जताया आभार

संवाद सहयोगी, ललपनिया (बेरमो) : बेरमो अनुमंडल के ललपनिया स्थित संथाली आदिवासियों के महाधर्मस्थल लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ को झारखंड सरकार की ओर से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा का आदिवासियों ने स्वागत किया किया है। वहीं, धोरोमगढ़ समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने खुशी जताई है। साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार जताया है। धोरोमगढ़ समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि लुगूबुरु घंटाबाड़ी के पर्यटन स्थल बन जाने से इस क्षेत्र का विकास होगा और बेरोजगारों को रोजगार का अवसर प्रदान होगा। पेश हैं धारोमगढ़ समिति के पदाधिकारियों के वर्जन.. फोटो : 04 बेरमो 05 झारखंड सरकार ने बजट सत्र में लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा कर एतिहासिक कदम उठाया है। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व सभी मंत्रियों व विधायक को बधाई। लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ के पर्यटन स्थल बन जाने से इस क्षेत्र का विकास तो होगा। साथ ही स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा।

- बबुली सोरेन, अध्यक्ष, लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ समिति ------------------------------------ फोटो : 04 बेरमो 06 काफी अर्से से लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ को पर्यटन स्थल बनाने की मांग धारोमगढ़ समिति व स्थानीय लोगों की ओर से की जा रही थी। राज्य सरकार ने चालू बजट सत्र में की घोषणा कर लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा कर संथाली आदिवासियों को सौगात दी है, जिससे सभी आदिवासियों में खुशी की लहर है। - लोबिन मुर्मू, सचिव, लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ समिति ------------------------------------ फोटो : 04बेरमो 07 निश्चित रूप से आदिवासियों के लिए यह काफी खुशी व गर्व का विषय है कि झारखंड सरकार ने लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढु को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा कर दी है। इससे आदिवासी समुदाय सहित ललपनिया क्षेत्र के आमोग भी काफी खुश हैं। क्योंकि इससे क्षेत्र का विकास होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

- जयराम हांसदा, कार्यालय सचिव, लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ समिति ------------------------------------ फोटो : 04 बेरमो 08 लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ आदिवासियों के लिए विश्वप्रसिद्ध धर्मस्थल है। यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा में होने वाले अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन में अपने देश भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ ही विदेश के भी श्रद्धालु भाग लेते हैं। राज्य सरकार ने इस धर्मस्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा कर क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।

- किशन मुर्मू, पाहन, लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ ललपनिया

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फोटो 04 बेरमो 09 में

हेमंत सरकार ने स्थानीय लोगों के चिर- परिचित मांग को पूरा करने की घोषणा कर काफी सराहनीय काम किया है। यह क्षेत्र पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने से क्षेत्र का विकास तीव्र गति से होगा, पर्यटन के रूप में विकसित होने के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार की असीम संभावना मिलेगा।

मिथिलेश किस्कू, उप सचिव, लुगूबुरु घंटाबाडी धोरोमगाढ़


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