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औद्योगिक विकास का पर्याय मां जलेश्वरी मेला

बेरमो पेज का बाटम फोटो 11 बीईआर 09 व 10 - भेंडरा में 86 वर्ष से मकर संक्रांति के अवसर पर लगाया जाता सप्ताहव्यापी मेला - स्थानीय कुशल कारीगरों के हाथों निर्मित लौह सामग्रियों की होती खूब बिक्री संवाद सहयोगी सुरही (बेरमो) नावाडीह प्रखंड के भेंडरा में लगने वाला जलेश्वरी मेला औद्यो

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 09:31 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 09:31 PM (IST)
औद्योगिक विकास का पर्याय मां जलेश्वरी मेला
औद्योगिक विकास का पर्याय मां जलेश्वरी मेला

संवाद सहयोगी, सुरही (बेरमो) : नावाडीह प्रखंड के भेंडरा में लगने वाला जलेश्वरी मेला, औद्योगिक विकास का पर्याय है। लौहनगरी के नाम से प्रसिद्ध भेंडरा स्थित जमुनपनिया नदी के समीप मकर संक्रांति के अवसर पर सप्ताहव्यापी मेला बीते 86 वर्षों से लगता आ रहा है। यहां के कुशल कारीगरों के हाथों निर्मित लौह सामग्रियों की चर्चा दूर-दूर तक है। इस मेला में मुख्य रूप से लौह सामग्रियों की बिक्री होती है। यही कारण है कि यह मेला आस्था एवं मनोरंजन के साथ-साथ औद्योगिक विकास का पर्याय भी है। जो ब्रिटिश शासन के समय से ही लगता आ रहा है। यहां के कमलनाथ गोस्वामी ने अपने सहयोगी जवाद राम, चरण राम, हीरा सिंह, गोपाल तुरी आदि के संग वर्ष 1932 से मेला की शुरुआत की। समय गुजरने के साथ यह मेला अपना स्वरूप बदलता जा रहा है। वर्ष 1978 में स्थानीय समाजसेवी अर्जुन प्रसाद बर्णवाल की अगुवाई में इस मेले को भव्य स्वरूप देने के उद्देश्य से कमेटी गठित की गई, जिसके अध्यक्ष गणेश चौरसिया चुने गए। स्थानीय लोगों के प्रयास से भेंडरा बर्णवाल समाज के वासुदेव बर्णवाल एवं रामप्रसाद बर्णवाल ने मेला के लिए वर्ष 1978 में लगभग एक एकड़ जमीन दान किया। उसके बाद वर्ष 1979 में मां जलेश्वरी का यहां मंदिर बनवाने को आधारशिला रखी गई। वर्ष 1990 में इस मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा गायत्री परिवार बोकारो की ओर से की गई। उसके बाद से ही यहां के लोगों के सहयोग का ही नतीजा है कि यह मेला काफी आकर्षक होता जा रहा है। भेंडरा की मुखिया उर्मिला देवी ने बताया कि यहां मेला में मुख्यत: स्थानीय लौह कर्मियों द्वारा निर्मित तलवार, भुजाली, कटार, साबल, हथौड़ा आदि की बिक्री होती है। मेला में बड़ा झूला, छोटा झूला, ब्रेक डांस झूला, मीना बाजार एवं विभिन्न व्यंजनों के स्टॉल की व्यवस्था की गई है।

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