हथियापत्थर की चादर में लग गई आग, जलकर राख
बेरमो कोयलांचल के पिछरी व फुसरो के बीच दामोदर नदी की जलधारा में स्थित हथियापत्थर की चादर में शनिवार को आग लग गई। वह चादर पूरी तरह जलकर राख हो गई। यहां हाथी के आकार के विशालकाय पत्थर को हथियापत्थर कहा जाता है। स्थानीय लोग उसे हथिया बाबा भी कहते हैं।
संवाद सहयोगी, पिछरी (बेरमो): बेरमो कोयलांचल के पिछरी व फुसरो के बीच दामोदर नदी की जलधारा में स्थित हथियापत्थर की चादर में शनिवार को आग लग गई। वह चादर पूरी तरह जलकर राख हो गई। यहां हाथी के आकार के विशालकाय पत्थर को हथियापत्थर कहा जाता है। स्थानीय लोग उसे हथिया बाबा भी कहते हैं। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर यहां एकदिवसीय मेला लगाया जाता है। मेला के दौरान उस पथरीले स्वरूप पर चादर चढ़ाकर लोग पूजा-अर्चना करते हैं। शुक्रवार को चढ़ाई गई चादर में शनिवार को दोपहर अचानक आग लग गई। देखते ही देखते पूरी चादर धू-धू कर जल गई। हालांकि आसपास पिकनिक मनाने आए लोगों ने आग को बुझाने का प्रयास किया। सूचना पाकर हथिया बाबा धाम समिति के लोग आग बुझाने पहुंचे, तबतक चादर जलकर राख हो चुकी थी।
समिति के अध्यक्ष अर्जुन सिंह का कहना है कि यहां मकर संक्रांति के अवसर पर जो श्रद्धालु पूजा नहीं कर पाए थे, उन्हीं श्रद्धालुओं ने शनिवार को पहुंचकर हथियापत्थर की पूजा करने को अगरबत्ती जलाई थी। उस वजह से दोपहर लगभग एक बजे अगलगी की घटना घटी। पिछरी निवासी श्रद्धालु नारायण महतो ने बताया कि यूं तो मेला के दिन ही शाम को चादर उतार दी जाती है, लेकिन शुक्रवार को मेला के दौरान पुलिस की ओर से रोक लगाए जाने के कारण शनिवार को भी पूजा-अर्चना की जा रही थी। इसलिए चादर को उतारा नहीं गया था। हथिया बाबा धाम मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष रोहित सिंह ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि पिछले 70 वर्षो से हथिया बाबा की पूजा की जा रही है, लेकिन अगलगी की घटना पहली बार घटी।