DC के बंगले में गऊ सेवा की जय हो! गाय माता के लिए शेड पर 40 लाख खर्च का प्लान तैयार Bokaro News
DC आवास में गाय माता के रहने के लिए 29.33 लाख रुपये की लागत से शेड और आने-जाने के लिए पाथ-वे का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है। शेड के रंग-रोगन पर 9.38 लाख खर्च होगा।
बोकारो, जेएनएन। गऊ सेवा की ऐसी मिसाल शायद ही कहीं देखने को मिले जैसी बोकारो में दिख रही है। बोकारो के जिलाधिकारी यानी उपायुक्त (DC) के आवास में गाय माता के रहने के लिए 29.33 लाख रुपये की लागत से शेड और आने-जाने के लिए पाथ-वे का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं गाय माता के शड और डीसी आवास के रंग-रोगन पर 9.38 लाख खर्च किया जाएगा। इस गऊ सेवा के लिए भवन प्रमंडल की ओर से अति अल्पकालीन निविदा जारी किया गया है। हालांकि यह दावे के साथ नहीं कहता जा सकता कि इस कार्य के पीछे अधिकारियों को मकसद सिर्फ सेवा भाव है या कुछ छिपा हुआ एजेंडा भी शामिल है।
जब भी उपायुक्त का स्थानांतरण और पदस्थापन होता है तो भवन प्रमंडल विभाग सक्रिय हो जाता है। उपायुक्त के स्थानांतरण के बाद कुछ नया काम किया जाता है। हाल में केएन झा को हटाकर मुकेश कुमार को बोकारो का नया उपायुक्त बनाया गया है। नए उपायुक्त के योगदान देने के बाद 24 घंटा का समय भी पूरा नहीं हुआ कि भवन प्रमंडल विभाग ने निविदा निकाल दिया है। नई निविदा के मुताबिक विभाग उपायुक्त के आवास के अंदर पाथ-वे, पीसीसी पथ और गाय के लिए कमरा निर्माण पर 29.33 लाख तथा आवास के रंग रोगन पर 9.38 लाख की राशि खर्च किया जाएगा। समाचार पत्रों में निकले निविदा के अनुसार 4 सितंबर को निविदा खोला जाएगा। इसके बाद कार्य प्रारंभ होगा।
उपायुक्त के आवास पर पहले भी हो चुका है करोड़ों खर्च : जिले के उपायुक्त के आवास के रख-रखाव एवं मरम्मत को लेकर यह पहली बार व्यय नहीं किया जा रहा है। 15 वर्षों से विरान पड़े उपायुक्त के आवास का जीर्णोद्धार का काम पहली बार 2016 में प्रारंभ हुआ। लगभग 50 लाख की लागत से काम प्रारंभ हुआ। इसके बाद गोपनीय कार्यालय से लेकर अलग-अलग कार्य के लिए अलग राशि का आवंटन हुआ। आवास 2016 के अंत में बनकर तैयार हुआ। इसके बाद तत्कालीन उपायुक्त रॉय महिमापत रे का स्थानांतरण हो गया। फिर मृत्युंजय कुमार बरनवाल उपायुक्त के रूप में आए उस वक्त भी राशि का व्यय हुआ। उसी वक्त ओएनजीसी ने अपने सीएसआर मद से उपायुक्त एवं एसपी आवास के सामने लाखों की लागत से कथित पार्क का निर्माण भी करा दिया। जिसमें चारदीवारी के अलावा कुछ भी नहीं बना। फिर उपायुक्त के रूप में शैलेश कुमार चौरसिया आए उस वक्त भी कुछ राशि खर्च की गई। जब कृपानंद झा आए तो भवन प्रमंडल विभाग को यह बात समझ में आई कि उपायुक्त के आवास में गाय के रहने के लिए भी कमरा चाहिए। सो उनके जाने के बाद पाथ-वे और गाय के रहने के लिए कमरा बनाने की निविदा निकाल दी है। देखना है कि करीब 40 लाख खर्च के बाद जो शेड बनकर तैयार होगा उसमें कितने मूल्य की गाय माता रहेगी ?