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रैयतों के दर्द की दास्तां बन गई कोल परियोजना

जागरण संवाददाता बेरमो सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की महत्वाकांक्षी कोयला परियोजना है दामोदर नदी व रेल विपथन (डीआर एंड आरडी) जो रैयतों के दर्द की दास्तां बन गई है। इस परियोजना के लिए चार दशक से सीसीएल ने 9000 एकड़ जमीन अधिगृहीत कर रखी है। जागरण संवाददाता बेरमो सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की महत्वाकांक्षी कोयला परियोजना है दामो

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 06:18 AM (IST)
रैयतों  के दर्द की दास्तां बन गई कोल परियोजना
रैयतों के दर्द की दास्तां बन गई कोल परियोजना

जागरण संवाददाता, बेरमो : सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की महत्वाकांक्षी कोयला परियोजना है दामोदर नदी व रेल विपथन (डीआर एंड आरडी), जो रैयतों के दर्द की दास्तां बन गई है। इस परियोजना के लिए चार दशक से सीसीएल ने 9000 एकड़ जमीन अधिगृहीत कर रखी है। हालांकि उक्त जमीन के 632 रैयतों को सीसीएल की आरआर पॉलिसी के तहत नौकरी मिली, लेकिन 1400 रैयतों के आवेदन अबतक धूल फांक रहे हैं। बेरमो कोयलांचल के चलकरी, झुंझको, खेतको, अंगवाली आदि की जिस 9000 एकड़ जमीन को सीसीएल प्रबंधन ने डीआर एंड आरडी परियोजना के लिए अधिग्रहीत किया था, उनमें करीब 5000 एकड़ वन भूमि व सरकारी गैरमजरुआ प्रकृति की जमीन है। वहीं शेष 4000 एकड़ स्थानीय रैयतों की कृषि योग्य जमीन है। उक्त परियोजना की शुरुआत वर्ष 1982 में हुई थी, तब उन चार गांव के जिन 632 रैयतों को सीसीएल ने आरआर पॉलिसी के तहत मुआवजा के साथ ही नौकरी दी थी। उनमें से कई लोग अब सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं तो कई सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं। सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने बीते वर्ष अक्टूबर माह में सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ करगली ग्राउंड में आयोजित सभा के दौरान मंच साझा करते हुए वर्ष 2019 की शुरुआत में डीआर एंड आरडी परियोजना को चालू कराने की घोषणा की थी, लेकिन अबतक काम चालू नहीं हुआ। --तीन फेज में हुआ जमीन का अधिग्रहण : डीआर एंड आरडी परियोजना के लिए सीसीएल ने तीन फेज में चलकरी, झूंझको, खेतको व अंगवाली ग्राम की जमीन अधिग्रहण किया। फेज एक में 1060 एकड़, फेज दो में 3610 एकड़ और फेज तीन में 4269 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया। करीब 9000 एकड़ भूखंड के नीचे अकूत कोयला पड़ा है, जिसका निरंतर उत्पादन अगले सौ साल तक किया जा सकता है। यही कारण है कि उक्त कोयले के भंडार को पाने के लिए सीसीएल ने अपना खजाना खोल दिया, जिससे 80 व 90 के दशक में इस परियोजना के लिए ठेकेदारी का बाजार गर्म रहा, लेकिन परियोजना चालू नहीं हुई। --अरबों रुपये की संरचना खा रही जंग : दामोदर नदी व रेल विपथन (डीआर एंड आरडी) परियोजना के लिए 80 के दशक में पूर्व-मध्य रेलवे की ओर से बेरमो के घुटियाटांड़ और जरीडीह बाजार में दो रेल पुल निर्माण कराया गया, जो चार दशक से पड़े-पड़े जंग खा रहा है। लोहा तस्करों के लिए उक्त पुल चारागह बन गया है। घुटियाटांड़ के निकट के रेल पुल के अधिकतर लोहे व एंगल चोरों ने टपा लिए हैं। यह चोरी का सिलसिला अब भी जारी है। -------------------

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वर्जन :

डीआर एंड आरडी परियोजना को चालू करने के लिए अब नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की गई है। जमीन संबंधी अड़चनों के कारण परियोजना को धरातल पर उताने में विलंब हो रहा है। उक्त परियोजना से सीसीएल को काफी अपेक्षाएं हैं। इसकी तमाम अड़चनों को दूर कर चालू करने को सीसीएल प्रतिबद्ध है। - एमके राव, जीएम, सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र


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