सीसीएल की कई कोलियरियां झेल रहीं एनजीटी की मार
भंडारीदह (बेरमो) बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल की कई कोलियरियां नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (ए
भंडारीदह (बेरमो) : बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल की कई कोलियरियां नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) की मार झेल रही है। एनजीटी से पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की कारो परियोजना से कोयला उत्खनन का कार्य बंद कर दिया गया है, वहीं करगली वाशरी परिसर में स्थापित कोल क्रशर चालू नहीं हो सकी है। ढोरी प्रक्षेत्र की सेलेक्टेड ढोरी ओपेनकास्ट माइंस (एसडीओसीएम) भी बंद पड़ी हुई है। एसडीओसीएम व कारो परियोजना में कोयले का अकूत भंडार है, लेकिन उस काले हीरे की निकासी पर एनजीटी का ग्रहण लग गया है। यदि जल्द ही एनजीटी ओर से स्वीकृत नहीं मिलेगी तो एसडीओसीएम परियोजना को इस वित्तीय वर्ष में अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में काफी परेशानी होगी। कोयले के कारोबार से जुड़े लोगों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
कोल प्रोडक्शन व डिस्पैच भी बंद : एसडीओसीएम एक ऐसी परियोजना है जो 2 वर्षो से एनजीटी की मार झेल रही है। चालू वित्तीय वर्ष में इस परियोजना को एनजीटी की स्वीकृति अबतक नहीं मिल पाई है। इस कारण 1 अप्रैल से यहां कोल प्रोडक्शन व डिस्पैच भी बंद है, जबकि इस परियोजना ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 35 लाख 4 हजार 255 मीट्रिक टन कोयला उत्पादन एवं 7 लाख 66 हजार 278 घनमीटर ओबी का निस्तारण किया था। अब यह परियोजना बंद रहने से सीटीपीएस, बीटीपीएस व बालीडीह के औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए कोल ट्रांसपोíटंग नहीं की जा रही है। फिलहाल यहां से सिर्फ रेल रैक से कोयला ट्रांसपोर्टिग की जा रही है। कोयले के अभाव में इस परियोजना की तारमी, कल्याणी व कारीपानी पार्ट में लोकल सेल पूर्णरूप से बंद है। इस वजह से जहां सैकड़ों लोकल सेल की ट्रक खड़ी हो गई हैं, वहीं सेल से जुड़े हजारों लदाई मजदूर बेकार बैठने को मजबूर हो गए हैं। उन मजदूरों के समक्ष आíथक संकट छा गया है। परियोजना स्थल पर प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां, लदाई मजदूर, गाड़ी मालिक एवं दुकानदारों की चहलकदमी से काफी रौनक रहती थी, वहां अब सन्नाटा पसर गया है।
बीते वर्ष भी महीनों रही बंद : प्रबंधन सूत्रों के मुताबिक एसडीओसीएम को कोयला उत्पादन के लिए बीते वित्तीय वर्ष दी गई निर्धारित पर्यावरणीय स्वीकृति की अवधि अब समाप्त हो गई है। जानकारों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के बाद ही स्वीकृति मिलने की संभावना है। जबकि एनजीटी से स्वीकृति वित्तीय वर्ष में एसडीओसीएम महीनों तक बंद रही थी। अगस्त-2018 में एनजीटी की ओर से 13 लाख 80 हजार मीट्रिक टन कोयला उत्पादन कराए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी। उस लक्ष्य को इस परियोजना ने दिसंबर माह में ही पूरा कर लिया, तो फिर से वीरान हो गई। उसके बाद मार्च-2019 में 5 लाख मीट्रिक टन कोयला उत्पादन कराए जाने की स्वीकृति मिली, जो पूरा करा लिए जाने के बाद से यह परियोजना बंद है।
स्थानीय बाजारों पर पड़ रहा प्रभाव : बेरमो कोयलांचल में लगभग सभी रोजगार कोलयरियों से जुड़ा हुआ है। कोलियरियों का कार्य बंद रहने से उसका सीधा प्रभाव यहां के बाजारों पर पड़ रहा है। पिछले वर्ष भी जब एनजीटी की मार से महीनों तक कोलियरियों में कोयला उत्पादन बंद रहा था, तब आसपास की दुकानों सहित पूरे फुसरो बाजार में व्यवसाय ठप सा पड़ गया था। बाजारों में लोगों की चहलकदमी कम देखने को मिल रही थी। वहीं स्थिति अब पुन: उत्पन्न हो गई है।
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वर्जन
एनजीटी से पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण एसडीओसीएम से कोयले का उत्पादन व संप्रेषण बंद है। पर्यावरणीय स्वीकृति लेने का प्रयास सीसीएल की ओर से किया जा रहा है। जल्द ही एनजीटी से स्वीकृति मिल जाने की संभावना है। स्वीकृति मिलते ही युद्धस्तर पर कोयला खनन कराया जाएगा, ताकि चालू वित्तीय वर्ष का निर्धारित उत्पादन लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
-डीके सिन्हा, सेल्स मैनेजर, एसडीओसीए