सड़क हादसों में मौत के लिए रफ्तार से कम जिम्मेदार नहीं निर्दयता
जिले में नब्बे प्रतिशत सड़क हादसों की वजह रफ्तार है लेकिन इनमें हुई मौतों की एक बड़ी वजह घायलों को समय से इलाज न मिल पाना है। क्योंकि घायलों की मदद के लिए दूसरे राहगीर आगे नहीं आते हैं।
जिले में नब्बे प्रतिशत सड़क हादसों की वजह रफ्तार है, लेकिन इनमें हुई मौतों की एक बड़ी वजह राहगीरों की निर्दयता भी है। घायल लोग कातर निगाहों से मदद के लिए हाथ उठाते हैं, लेकिन राहगीर एक नजर देखकर वाहन की रफ्तार बढ़ा लेते हैं। इस अमानवीयता कहें या पुलिस के पचड़े में फंसने का बेजा खौफ। फिलहाल, नए साल पर यह वाकया जिले में एक बार फिर दोहराया गया। गरगा नदी पुल पर घायल राहगीर तड़पता रहा। आखिरकार खुद अपने दोस्त को फोन कर बुलाया। तब जाकर जान बच सकी। ऐसे में, बड़ा सवाल यह है कि साल तो बदल रहा है, लेकिन सड़क हादसे में घायल लोगों की मदद के लिए हमारी सोच कब बदलेगी। बीते तीन वर्ष के आंकड़ों की मानें तो इस दौरान कुल 783 सड़क हादसे हुए। इनमें 440 लोगों को जान गंवानी पड़ी। जबकि 416 लोग जख्मी हुए थे। दैनिक जागरण इस खबर के माध्यम से न सिर्फ आपको सड़क हादसों में मौत को लेकर आगाह कर रहा है बल्कि जिम्मेदार बनने की अपील भी कर रहा है। -------------
पुलिस रखे सहयोगात्मक रवैया-सड़क हादसों में घायल लोगों की जान बचाई जा सके। इसके लिए पुलिस भी सहयोगात्मक रवैया रखे इसकी अपील राज्य के परिवहन सचिव के रवि कुमार ने की हैं। साथ ही, उन्होंने प्रधान सचिव गृह व डीजीपी को पत्र लिखकर सभी जिलों को निर्देश देने के लिए अनुरोध किया है। जारी पत्र में उन्होंने कहा है कि सड़क हादसों में घायल लोगों को सम्मानित करने का भी प्रावधान है। इसकी मॉनीटरिग सुप्रीम कोर्ट से गठित कमेटी ऑन रोड सेफ्टी करती है। ऐसे में हमें और संजीदा रहने की जरूरत है।
वर्ष-------कुल हादसा---------मौत--------घायल
2018---279-----------------138--------135 2019---309-----------------196---------163 2020 नवंबर तक--195---------106---------118
वर्जन:
घायलों को जो भी लोग अस्पताल पहुंचाते हैं उन्हें पुलिस कभी भी परेशान नहीं करती है। मानव जीवन अनमोल है। इसे बचाने की हमलोग हर संभव कोशिश निरंतर करते रहते हैं। समय-समय पर लोगों को इस बिदु पर जागरूक करने के लिए पुलिस अभियान भी चलाते रहती है। अपने सहकर्मियों से कहा जाता है कि पीड़ित पक्ष हादसों के बाद खुद ही तनाव में होते हैं। ऐसे में उनसे सही व्यवहार होना चाहिए। पूनम मिज, डीएसपी ट्रैफिक बोकारो। कई बार अत्यधिक रक्तस्राव की वजह से हम लोग सड़क हादसों में घायलों को नहीं बचा सके हैं। घायलों को सही समय पर व सही तरीके से अस्पताल पहुंचाया जाए तो उसे बचा जा सकता है। समय की मांग कि कनार्टक की तरह यहां भी यातायात पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण जरूर दिया जाए। इससे यह बहुत हद तक मानव जीवन बच सकता है।
डॉक्टर आनिदो मंडल, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी बीजीएच