दस साल बीत गए, नहीं शुरू हो पाए फिल्टर प्लाट
जुगल मंगोत्रा पौनी इलाके में होने वाली पेयजल सप्लाई ग्रामीणों के पीने लायक नहीं है जिससे कई
जुगल मंगोत्रा, पौनी :
इलाके में होने वाली पेयजल सप्लाई ग्रामीणों के पीने लायक नहीं है, जिससे कई लोग बीमारी के शिकार हो सकते हैं। इसे विभागीय लापरवाही कहें या घोटाला, तीन फिल्टर प्लाट बने दस साल हो गए, लेकिन इनसे पानी की सप्लाई शुरू नहीं की गई। जिसके चलते तीन पंचायतों के 20 हजार लोग दूषित पानी पीने को विवश हैं। पीएचई विभाग उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
पंचायत पौनी, पंचायत माड़ी नाला और पंचायत काना के करीब 20 गाव मौजूदा समय में सेतर नाला क्षेत्र से की जानी वाली पीने के पानी की सप्लाई पर निर्भर हैं। पीएचई विभाग ने तीनों पंचायतों के ग्रामीणों को साफ पानी पिलाने के लिए फिल्टर प्लाट तैयार किए थे, जो अब खंडहर बन गए हैं। माड़ी नाला पंचायत के सरपंच प्रकार्श ंसह का कहना है कि पीएचई विभाग की तरफ से सेतर नाला क्षेत्र में दो और अपर बाजार में एक फिल्टर प्लाट बनाया गया है, लेकिन इसमें सरकारी पैसे की बर्बादी की गई है। एक भी फिल्टर प्लाट पानी साफ करने के लायक नहीं है। विभाग की तरफ से लाखों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन इससे पानी की आपूर्ति नहीं की। यह या तो पीएचई विभाग की लापरवाही है या घोटाला किया गया है, इसकी जाच कर दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। फिल्टर प्लाट ऐसे स्थान पर बनाए गए हैं, जहा ग्रामीणों को इसकी कोई जानकारी न हो सके। फिलहाल सभी फिल्टर प्लाट बेकार पड़े होने के कारण खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।
इंचार्ज ब्लॉक मेडिकल आफिसर पौनी डॉ. पूर्ण चंद का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा पौनी इलाके में होने वाली पीने के पानी की सप्लाई का सैंपल अब तक आठ बार रीजनल रिसर्च लेबोरेटरी (आरआरएल) जम्मू में भेजा है, जिसमें प्रत्येक बार जाच के दौरान पीने का पानी दूषित पाया गया है। बीएमओ का कहना है कि मई व जून माह में होने वाली ग्रामीणों को पेयजल सप्लाई अक्सर दूषित होती है, जिसमें कई लोग डायरिया, पीलिया व पेट आदि में लगने वाली बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पीएचई विभाग को पेयजल सलाई फिल्टर करने के बाद गाव में करनी चाहिए, ताकि लोग दूषित पानी पीने से बीमारियों से ग्रस्त न हों। उन्होंने कहा वर्ष 2006 से लेकर 2011 तक पौनी का पानी जाच के लिए छह बार जम्मू लेबोरेटरी में भेजा गया था, जो उस वक्त भी जाच के दौरान सही नहीं पाया गया था। इसके बाद वर्ष 2015 और 2017 में पानी का सैंपल फिर से जाच के लिए भेजा गया था। उसमें भी पौनी का पानी जाच में पीने के लायक नहीं पाया गया था। उन्होंने कहा कि बार-बार पानी का सैंपल सही नहीं आना ग्रामीणों को मुश्किल में डाल सकता है। खंडहर बन चुके हैं फिल्टर प्लाट
पौनी इलाके में पानी फिल्टर करने के बाद लोगों को नहीं प्राप्त हो सकता है। पीएचई की तरफ से अब तक जो फिल्टर प्लाट बनाए गए हैं, वे खंडहर बन चुके हैं। इनमें घटिया निर्माण सामग्री लगाने और देखरेख नहीं करने के कारण आज लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। माड़ी के सरपंच प्रकार्श ंसह के मुताबिक विभाग की तरफ से लाखों रुपये खर्च किए गए हैं, जिसकी डीसी रियासी को जाच करनी चाहिए। जिन लोगों ने फिल्टर प्लाट तैयार किए थे, उन्होंने इन्हें चालू क्यों नहीं किया। रियासी व पौनी क्षेत्र में वह हाल ही में ज्वाइन किए हैं। पौनी क्षेत्र में फिल्टर प्लाट के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं हैं। कुछ दिनों में पौनी क्षेत्र में दौरा करने के बाद फिल्टर प्लाट का निरीक्षण किया जाएगा। लोगों की समस्या दूर करने के लिए विभाग की तरफ से पूरा प्रयास किया जाएगा।
- सुरेश गोस्वामी, एईई पीएचई, पौनी-रियासी पौनी में फिल्टर प्लाट तैयार करवाने के बाद चलाए क्यों नहीं किए गए, इसको लेकर वह बहुत जल्द जाच करवाएंगी। अगर पीएचई विभाग की तरफ से सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
- इंदु कंवल चिब, डीसी रियासी