परीक्षा परिणाम घोषित, मिशन एडमिशन का दौर शुरू
जागरण संवाददाता ऊधमपुर परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ ही निजी स्कूलों में मिशन एडमिश्
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ ही निजी स्कूलों में मिशन एडमिशन का दौर भी शुरू हो गया है। साथ ही शुरू हो गई है निजी स्कूलों में दाखिला फीसों की मनमानी और वर्दी वाले दुकानदारों के साथ सांठगांठ कर विद्यार्थियों व अभिभावकों को लूटने का सिलसिला। करीब एक सप्ताह से ज्यादा समय से यह लूट शुरू हो चुकी है, इसे रोकने के लिए शिक्षा विभाग ही नहीं जिला प्रशासन भी मौन है।
हर साल निजी स्कूल में दाखिला प्रक्रिया शुरू होते ही मनमर्जी से फीस वसूली का दौर भी शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं, निजी स्कूल वाले विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं के साथ सांठगांठ कर विद्यार्थियों को उन दुकानों से किताबें खरीदने को मजबूर करते हैं। हालांकि, स्कूलों में दाखिला फीस प्रतिबंधित करने के साथ सरकार ने दाखिला फीस की जगह वार्षिक शुल्क को स्कूलों को वर्गीकृत कर निर्धारित किया है, मगर स्कूल इसके मुताबिक फीस वसूली करने की बजाए मनमर्जी से अलग तरीके से दाखिला के समय पर फीस वसूली कर रहे हैं।
कुछ ने बच्चों को स्कूल लाने और वापस घर छोड़ने के लिए अपनी बसों के किराये में 20 से 30 फीसद तक वृद्धि की है। जिला शिक्षा विभाग के नये मुख्य शिक्षा अधिकारी ने कार्यभार संभालने के बाद दावा किया था कि वह मनमानी करने और दुकानदारों की मिलीभगत कर विद्यार्थियों को किताबें बेचने के लिए मजबूर करने वाले स्कूल वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इसके लिए उन्होंने जिले में शिकायत सेल गठित करने की बात भी कही थी, मगर शिक्षा विभाग के दोनों ही दावे हवा-हवाई साबित हुए है। निजी स्कूलों में बच्चों से मनमर्जी की फीस वसूली के साथ बाजार में खुलेआम दुकानों पर स्कूल विशेष की मिल रही किताबें इस बात का प्रमाण है कि जिला शिक्षा विभाग पहले की तरह इस बार भी इस लूट खसूट को रोकने में विफल रहा है। वह अभी भी अभिभावकों की लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कर रहा है। मगर अभिभावकों के लिए गुप्त तरीके से शिकायत करने की कोई व्यवस्था विभाग ने नहीं की है।
इतना ही नहीं, जब से स्कूलों में दाखिलों का दौर शुरु हुआ है, बाजार में पुस्तक विक्रेताओं की दुकानों में भीड़ रहती है। कई बार तो दुकान के अंदर जगह न होने पर लोग बाहर खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। किताबों के लिए लोगों को घंटों का समय लग रहा है और कई बार तो भीड़ की वजह से कई किताबों की दुकानों के कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कई कक्षाओं की किताबें बाजार में विद्यार्थियों को नहीं मिल रही तो कई स्कूलों की कक्षाओं की कुछ किताबों की कमी हो गई है। किताबें न होने की वजह से कई स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
बहरहाल, शिकायत मिलने के कार्रवाई के दावे करने वाले शिक्षा विभाग के पास ऊधमपुर एक निजी स्कूल के खिलाफ लूटखसूट की शिकायत भी हुई, मगर शिकायत के करीब एक सप्ताह अभी तक इस मामले में जांच ही पूरी नहीं हो सकी है। इससे साफ है कि जिला शिक्षा विभाग दुकानदारों के पास मौजूद किताबें पूरी तरह से बिक जाने का इंतजार कर रहा है।
बाक्स---
गैर कानूनी है दाखिला फीस वसूली
सरकार ने निर्देश जारी कर स्कूलों में दाखिला फीस को समाप्त कर दिया है। नर्सरी से लेकर 12 तक चलने वाला कोई भी स्कूल बच्चों से दाखिला फीस नहीं वसूल सकता। अलबत्ता स्कूल वार्षिक शुल्क वसूल सकते हैं। इसके लिए तीन वर्ग निर्धारित किए गए है। पहले वर्ग में वह स्कूल आते हैं जिनकी सालाना फीस छह हजार रुपये और मासिक ट्यूशन फीस के बीच है। यह अपनी फीस में अभिभावकों की सहमति से वृद्धि कर सकते हैं। दूसरा वह स्कूल जिनका वार्षिक स्कूल फीस छह हजार रुपये से ज्यादा है। वह वार्षिक शुल्क और ट्यूशन फीस में सालाना छह फीसद की वृद्धि कर सकते हैं। जो इस वृद्धि से संतुष्ट नहीं वह फीस फिक्सेशन कमेटी के पास अपील कर अपनी फीस वृद्धि प्रतिशत निर्धारित करवा सकते हैं। दाखिला फीस वसूली गैरकानूनी है, जो स्कूल दाखिला फीस वसूल रहे है, अभिभावकों को उनके खिलाफ शिकायत करने के लिए आगे आना चाहिए।
अजय गुप्ता, राष्ट्रीय महासचिव, प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन कोट्स---
निजी स्कूलों को मनमानी नहीं करने दी जाएगी। जो भी स्कूल निर्धारित नियमों और जारी निर्देशों का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एक शिकायत आई है। संबंधित जेडईओ को निर्देश दिए गए हैं, जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
दलजीत सिंह, सीईओ ऊधमपुर