पर्यटकों से गुलजार है बर्फ की परते ओढ़े संथन टाप
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बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़ : किश्तवाड़ और अनंतनाग के बीच में स्थित पर्यटन स्थल संथन टाप इन दिनों पर्यटकों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। अन्य प्रदेशों के सैकड़ों सैलानी रोजाना यहां आकर बर्फ के बीच में रहकर पूरा आनंद ले रहे हैं। जहां एक तरफ उत्तरी भारत में 45 से 47 डिग्री तापमान के बीच लोग गर्मी से बेहाल हैं और इससे बचने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं, वहीं, जम्मू कश्मीर में आज भी कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां पर जून, जुलाई तक बर्फ जमी रहती है। दूर-दूर से लोग आकर यहां बर्फ का पूरा आनंद लेते हैं। इन दिनों संथन टाप में पर्यटकों की भीड़ लगी हुई है। ज्यादातर पर्यटक कश्मीर के रास्ते से संथन टाप में प्रवेश कर रहे हैं। इसकी वजह कश्मीर में कई ट्रेवल एजेंसियों का सक्रिय होना हैं, जिन्हें संथन टाप की पूरी जानकारी है। उनके एजेंट अन्य क्षेत्रों व राज्यों से पर्यटकों को वाहनों में लाकर बर्फ के नजारे दिखाते हैं।
संथन टाप जमीनी सतह से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां दूर-दूर तक किसी पेड़ का नामोनिशान तक नहीं है। किश्तवाड़ से 82 और अनंतनाग से 70 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित है। संथन टाप का हिस्सा भी पत्नीटाप की तरह आधा अनंतनाग और आधा किश्तवाड़ में आता है, जैसे पत्नीटाप आधा रामबन और आधा ऊधमपुर जिले में आता है। हालांकि दोनों जिलों के पर्यटन विभाग यहां पर विकास करवाने की योजनाएं बनाते हैं, लेकिन इस इलाके में ज्यादा हिमपात होने की वजह से यहां कोई इमारत या पार्क नहीं बन पाता। यह जगह करीब छह महीने तक हिमपात की वजह से दोनों जिलों से कटी हुई रहती है। गर्मी के दिनों में कुछ लोग यहां पर टेंट लगाकर खाने-पीने की दुकानें लगाते हैं, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को सहूलियत मिल जाती है। पर्यटकों के रहने की व्यवस्था नहीं
यहां जो भी व्यक्ति आता है, उसका मन वापस जाने को नहीं करता, लेकिन मजबूरी में उसे वापस जाना पड़ता है। क्योंकि संथन टाप में रहने की कोई जगह नहीं है। ज्यादा समय तक यहां पर ठहरना बहुत मुश्किल है। थोड़ा सा मौसम बदलने पर हिमपात हो जाता है और उस समय यहां रहना खतरे से खाली नहीं होता। इसी के चलते पर्यटक सुबह यहां आते हैं और शाम को वापस चले जाते हैं। किश्तवाड़ की तरफ से जाने वाले पर्यटक कुछ छात्रु में रुक जाते हैं और कुछ किश्तवाड़ में आकर रुकते हैं।
स्वर्ग जैसा है संथन टाप
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से आए बर्धन कुमार ने कहा कि हमारे हिमाचल प्रदेश में बहुत सारे पर्यटक स्थल हैं, जहां पर हजारों की तादात में पर्यटक आते हैं। मैं पहली दफा किश्तवाड़ से होते हुए संथन टाप पर पहुंचा हूं, लेकिन अगर कहीं स्वर्ग है तो यहा संथन टाप में है। मई महीना खत्म हो रहा है और यहा पर इतनी बर्फबारी है कि पूरी मस्ती की जा सकती है। हम पाच लोगों का ग्रुप था। हमने जितना भी समय यहा बिताया, उसे हम कभी भूल नहीं सकते। उधर, किश्तवाड़ डेवलेपमेट अथारिटी के सीईओ इंद्रजीत परिहार का कहना है कि हमने संथन मैदान में पर्यटकों के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। पार्क, बैठने के लिए व्यवस्था, खाने-पीने के लिए रेस्टोरेंट, शामिल हैं, लेकिन संथन टाप पर इतनी ज्यादा बर्फबारी होती है कि वहा पर किसी किस्म का भी निर्माण नहीं हो सकता। हम कोशिश कर रहे हैं वहा पर बैठने की जगह बनाई जाए ताकि जो भी पर्यटक वहा पर आएं उसे बैठने की अच्छी साफ-सुथरी जगह मिल सके। पिछले दो साल में कोविड-19 के कारण पर्यटकों को वहा पर जाने की इजाजत नहीं दी गई, लेकिन इस साल अभी तक 10 हजार से ज्यादा पर्यटक संथन टाप में आ चुके हैं।