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शिवकथा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

संवाद सहयोगी, कटड़ा : जीवन में दुखों का कारण हालात न होकर मनुष्य के ख्यालात होते हैं। सावन के

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 07:49 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 07:49 PM (IST)
शिवकथा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

संवाद सहयोगी, कटड़ा : जीवन में दुखों का कारण हालात न होकर मनुष्य के ख्यालात होते हैं। सावन के पावन अवसर पर राजमाता जी आश्रम, शनिमंदिर ऊधमपुर रोड द्वारा आयोजित शिवकथा के चौथे दिन स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने यह बातें कहीं।

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संस्थान के सेवादार स्वामी नाथ ने बताया कि शिवकथा के चौथे सत्र में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। शनिवार को शिवकथा के श्रवण के लिए जम्मू-कश्मीर शिवसेवा ठाकरे के महासचिव मनीष साहनी व उनके साथ अनेक शिवसैनिक भी पहुंचे। उन्होंने स्वामी जी से हिंदुत्व व इंसानियत पर काम करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। शिवकथा पर चर्चा करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का मन पहले से भविष्य की रूपरेखा-सोच निर्मित कर लेता है, फिर जब उसके विपरीत परिस्थितिया देखनी पड़ती हैं तो उसमें वह खुद को सहज नहीं रख पाता। इस कारण मनुष्य दुखी रहता है। व्यक्ति को पहले से भविष्य की कोई भी सोच नहीं बनानी चाहिए। यह विचारधारा रखनी चाहिए कि भविष्य में जैसे हालात होंगे उसके अनुसार ही कार्य को मूर्त रूप दे देंगे।

स्वामी जी ने कहा कि श्रीराम जी को राजपाट की जगह वनवास मिल गया। उन्होने उस वनवास में से भी सुख खोज लिया कि राजपाट में फुर्सत नहीं मिलती, सदैव जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, परंतु वनवास में कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी। राज-पाट में सत्संग का अभाव रहता है, जबकि वनवास में पूर्ण रूपेण सत्संग प्राप्त होता रहेगा। विपरीत हालातों में भी ख्यालातों से रामजी ने कष्टों से भरे वनवास को जीवन में आनन्द मार्ग बना लिया। स्वामी जी ने कहा कि यह बात सभी जानते हैं कि जीवन के अंतिम समय में भगवत नाम सुमिरन से मुक्ति मिल जाती है, परंतु साथ में यह भी याद रखना चाहिए अंतिम समय में सुमिरन के लिए हमको निरंतर सुमिरन का अनुभव प्रयास भी करना चाहिए। अन्यथा अंत समय भगवत सुमिरन आसान नहीं होता।


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