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गलघोंटू से एक बच्ची की मौत, तीन गंभीर

संवाद सहयोगी, रियासी : जिले के माहौर ब्लॉक के अंतर्गत वासा इलाके में एक ही परिवार के चार ब

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 01:47 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 01:47 AM (IST)
गलघोंटू से एक बच्ची की मौत, तीन गंभीर

संवाद सहयोगी, रियासी : माहौर के वासा क्षेत्र में गलघोंटू बीमारी की चपेट में आने से एक बच्ची की मौत हो गई। जबकि उसके तीन भाई-बहनों की हालत गंभीर बनी हुई है। सभी का उपचार चंडीगढ़ स्थित पीजीआइ में चल रहा है। मामला संज्ञान में आने के बाद स्वास्थ विभाग में हड़कंप मच गया। खुद चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ परविंदर सिंह टीम के साथ वासा पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

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जानकारी के अनुसार, बीमारी के लक्षण सबसे पहले 30 वर्षीय मोहम्मद शरीफ की नौ वर्षीय बेटी गुलशाद में सामने आए। उसे बुखार के साथ गले में तकलीफ की शिकायत पर 12 जुलाई को रियासी जिला अस्पताल लाया गया। वहां से उसे जम्मू स्थित श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल (एसएमजीएस) रेफर कर दिया। दो दिन बाद गुलशाद ने जम्मू अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसी बीच मोहम्मद शरीफ की सात वर्षीय लड़की शमशाद और 12 वर्षीय कामरान को भी वही तकलीफ होने लगी। परिजनों ने शमशाद और कामरान को भी 14 जुलाई को एसएमजीएस अस्पताल लाया। वहा से दोनों को पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर किया। वहां जब डॉक्टरों ने बच्चों की जांच की तो गलघोटू बीमारी का पता चला। 17 जुलाई को मोहम्मद शरीफ की दो वर्षीय बेटी गुलनाज में भी बीमारी के वही लक्षण आने पर एसएमजीएस अस्पताल ले जाया गया। वहा से उसे भी अगले दिन पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया। चंडीगढ़ में उनका उपचार किया जा रहा है।

उधर, माहौर से मेडिकल टीम बुधवार को वासा पहुंच गई। वहा उनके द्वारा मोहम्मद शरीफ के परिवार के अलावा उनके परिचितों व आस पड़ोस के लोगों की स्वास्थ्य जाच की जा रही है। सीएमओ डॉ. परविंदर सिंह ने भी वासा पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। सीएमओ डॉ परविंदर सिंह ने नौ वर्षीय गुलशाद की मौत की पुष्टि की है। गलाघोंटू रोग पशुओं को लगता है

गलाघोंटू रोग मुख्य रूप से गाय तथा भैंस को लगता है। यह मानसून के समय व्यापक रूप से फैलता है। इस रोग में पशु को अचानक तेज बुखार हो जाता है एवं पशु कापने लगता है। रोगी पशु सुस्त हो जाता है तथा खाना-पीना कम कर देता है। पशु को श्वास लेने में कठिनाई होती है। रोकथाम

अपने पशुओं को प्रति वर्ष वर्षा ऋतु से पूर्व इस रोग का टीका पशुओं को अवश्य लगवा लेना चाहिए। बीमार पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए। जिस स्थान पर पशु मरा हो उसे कीटाणुनाशक दवाइयों, फिनाइल या चूने के घोल से धोना चाहिए। पीजीआइ चंडीगढ़ में यह बीमारी


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