बर्बाद फसल का बीमा मिला नहीं, फिर से काट लिए पैसे
संवाद सहयोगी, पौनी : किसानों की सीजन की दो बार मक्की की फसल बर्बाद होने के बाद अभी उसका म
संवाद सहयोगी, पौनी : किसानों की सीजन की दो बार मक्की की फसल बर्बाद होने के बाद अभी उसका मुआवजा मिला नहीं था कि कंपनी और बैंक वालों ने किसानों के खातों से फिर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पैसे काट लिए हैं। लोगों ने दो बार मक्की की फसल बर्बाद होने पर अपनी फसलों का बीमा कराया था, लेकिन अब फसल के बर्बाद होने पर किसानों को उसे प्राप्त करने में काफी परेशानी आ रही है।
इतना ही नहीं, जिन बैंकों से किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ऋण प्राप्त किया है उन्होंने अब गेहूं की फसल का भी बीमा काट लिया है। गत दिनों काना गांव में कृषि व बैंक अधिकारियों सहित बीमा करने वाले अधिकारी किसानों की समस्या सुनने के लिए पहुंचे थे, लेकिन जल्द बर्बाद फसल का मुआवजा देने का अश्वासन देने के बाद किसानों को अभी भी मुआवजा के लिए बैंक और कृषि कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। किसान नेता ओमप्रकाश शर्मा ने बीमा करने वाली आइसीआइसीआई कंपनी के जिला मैनेजर जहूर अहमद का घेराव करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा किसानों का फसल बीमा इसी कंपनी और अधिकारी द्वारा किया गया है। किसान सीता राम, मुंशी राम, देस राज, राम लाल, अशोक कुमार आदि का कहना है तहसील में पड़ते कई किसानों की मक्की की सीजन में दो बार फसल बर्बाद हुई थी। किसानों ने नुकसान से बचने के लिए फसल बीमा करवाया था, लेकिन अब बीमा की राशि पाने के लिए उन्हें विभाग के कार्यलय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। किसानों ने कहा अगर बीमा करने वाले कंपनी द्वारा बर्बाद फसल का मुआवजा नहीं देना था तो मौजूदा समय की गेहूं की फसलों को बीमा करने के क्या आवश्यकता थी।
गौरतलब है कि पौनी तहसील के करीब तीस हजार किसानों ने फसलों का बीमा करवाया था जिसमें साठ से सत्तर प्रतिशत किसानों की दो बार मक्की की फसल बर्बाद हुई थी। तब बीमा कंपनी द्वारा जिला रियासी से करीब पचास लाख रुपये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से वसूला थे। अब एक बार फिर लाखों रूपये किसानों के गेहूं की फसल के बीमा के तहत काट लिए गए हैं। फसल बीमा करने वाली कंपनी के अधिकारियों से बातचीत हो चुकी है। किसानों को बहुत जल्द मुआवजा देने की बात कही गई है। वे एक बार फिर बीमा करने वाली कंपनी के अधिकारियों को बुलाकर किसानों को मुआवजा देने के लिए कहेंगे।
डॉ. सागर दतात्रेय डोईफोडे, डीसी रियासी