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मचैल यात्रा संपन्न, ढाई लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : इलाके की प्रसिद्ध मचैल यात्रा 25 जुलाई को शुरू हुई थी और मंगलवार क

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 07:36 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 07:36 PM (IST)
मचैल यात्रा संपन्न, ढाई लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : इलाके की प्रसिद्ध मचैल यात्रा 25 जुलाई को शुरू हुई थी और मंगलवार को इसका समापन हो गया। इस दौरान ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में जाकर माथा टेक कर दुआ मांगी। चालीस दिन तक चली यात्रा ने इस बार पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और सबसे ज्यादा श्रद्धालु इस वर्ष मचैल में पहुंचे, हालांकि इस वर्ष यात्रा में यात्रियों को बहुत सारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। इसके बावजूद यात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ। रोजाना हजारों यात्री मचैल माता के दरबार में पहुंचते रहे। यात्रा में प्रशासन और सरकार के दावे पूरी तरह से खोखले साबित हुए। सुरक्षा व्यवस्था के प्रशासन की तरफ से कोई खास बंदोबस्त नजर नहीं आए। किश्तवाड़ से लेकर मचैल तक कई चिकित्सा केंद्र बनाए गए थे, लेकिन वहां दवाइयां नदारद थी। लंगर वालों ने दवाइयां नहीं रखी होती तो यात्रियों को काफी कठिनाई उठानी पड़ती। इसके साथ ही 17 राष्ट्रीय राइफल ने भी गुलाबगढ़ और मचैल में अपने जवानों को तैनात कर चिकित्सा केंद्र बनाए थे। वहां पर भी बीमार यात्रियों को काफी मदद मिली। यात्रा के दौरान पानी की भी कमी रही। शौचालय के नाम पर ग्रामीण विकास विभाग के दावे भी खोखले साबित हुए। ग्रामीण विकास विभाग ने यह दावा किया था कि इस वर्ष गुलाबगढ़ से लेकर मचैल तक कई शौचालय बनाने जा रहे है लेकिन कहीं भी कोई ऐसा शौचालय नजर नहीं आया।जिसे ग्रामीण विकास विभाग ने बनाया हो। मसू से लेकर मचैल तक पैदल रास्ते की भी हालत खस्ता ही देखने को मिली। कहा जा रहा था कि यात्रा शुरू होते ही मचैल तक बिजली पहुंच जाएगी। लेकिन बिजली तब पहुंची जब यात्रा संपन्न होने पर थी। इतनी सुविधा जरूर मिली कि इस वर्ष एक निजी कंपनी द्वारा मोबाइल सेवा मिलने पर यात्रियों को काफी आसानी रही और वह अपने घरों में बात करते रहे। इस वर्ष 22 जुलाई को छड़ी यात्रा पहुंचने के बाद संस्था और कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ। जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा। उसके बाद यात्रा में भी काफी कमी देखने को मिली। यात्रा खत्म होने तक भी प्रशासन ने अभी तक मामले का कोई खुलासा नहीं किया कि आखिर विवाद कहां से शुरू हुआ और किसने शुरू किया। अभी सर्व शक्ति सेवा संस्था और जम्मू की संस्था अपनी अपनी सफाई देने में लगी हुई हैं और एक दूसरे की गलतियां निकाल रहे हैं। यात्रियों को इस बार ठेस पहुंची है कि यात्रा का त्रिशूल मचैल में ही रहा उसे वापस नहीं लाया गया। जब से यात्रा शुरू हुई है तभी से ही डोडा का एक परिवार त्रिशूल लेकर संस्था के संस्थापक ठाकुर कुलबीर ¨सह को भेंट करता आया है और वही त्रिशूल छड़ी के रूप में मचैल में ले जाया जाता था। वापस त्रिशूल को भद्रवाह के चिनोत चंडी मंदिर में रखा जाता था। इस वर्ष त्रिशूल वापस न आने से सब लोगों को ठेस पहुंची है। आज से हेलीकॉप्टर सेवा भी बंद हो जाएगी। इस वर्ष दो कंपनियों को हेलीकॉप्टर चलाने का ठेका दिया गया था। हेलीकॉप्टर सेवा में भी कुछ विवाद रहे लेकिन उसके बावजूद भी सेवा चलती रही। अब चारों तरफ एक ही आवाज आ रही है कि इस यात्रा को श्राइन बोर्ड के हवाले कर देना चाहिए। अब यात्रा इतनी बढ़ चुकी है कि किसी संस्था के बस की बात नहीं रही है। इस वर्ष यह मामला विधानसभा में भी उठा था रामनगर के भाजपा विधायक आरएस पठानिया ने मामले को विधानसभा में रखा और कहा कि यात्रा दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अब यह किसी एक संस्था के बस की बात नहीं है। यात्रियों का सही बंदोबस्त कर सकें, इसलिए इस यात्रा को श्राइन बोर्ड के अधीन किया जाए। पठानिया की इस बात का समर्थन नेशनल कांफ्रेंस के विधायक देवेंद्र ¨सह राणा ने भी किया था। सरकार में रही पर्यटन राज्यमंत्री प्रिया सेठी ने इसका विरोध किया था और कहा था कि यात्रा को हमारा विभाग अच्छी तरह से देख रहा है। पर्यटन विभाग द्वारा बनाई गई किश्तवाड़ डेवलपमेंट अथॉरिटी इसकी देखरेख कर रही है। पर्यटन राज्य मंत्री को सही जानकारी न होने की वजह से उन्होंने यह प्रस्ताव रद कर दिया और बिल पास होने के बजाय लटक गया। अब लोगों का कहना है कि प्रदेश में राज्यपाल शासन चल रहा है और राज्यपाल महोदय को चाहिए कि यात्रा की पूरी जानकारी प्राप्त करें और जल्द यात्रा को श्राइन बोर्ड के अधीन करें।

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