पानी के तेज बहाव में भुट नाला पर बना पुल बहा, मचेल का संपर्क टूटने से चंडी माता का दर्शन तत्काल संभव नहीं
पुल के बह जाने से गुलाबगढ़-मचेल का संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है। अब फिलहाल कोई भी बाहरी यात्री मचेल माता चंडी के दरबार में नहीं जा सकता है। पुल के बह जाने से नाले के दोनों तरफ बारातें फंसी हैं जिन्हें निकलने का कोई रास्ता भी नहीं है।
किश्तवाड़, संवाद सहयोगी : किश्तवाड़ जिले के मचेल और पाडर के बीच पड़ने वाले भुट नाला में बुधवार की रात अचानक पानी के तेज बहाव के कारण पुराना पुल बह गया। इस पुल के बह जाने से गुलाबगढ़-मचेल का संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है। अब फिलहाल कोई भी बाहरी यात्री मचेल माता चंडी के दरबार में नहीं जा सकता है। पुल के बह जाने से नाले के दोनों तरफ बारातें फंसी हैं, जिन्हें निकलने का कोई रास्ता भी नहीं है। दूसरा नया पुल बनाने में पांच से छह दिन लग सकते हैं।
आखिरकार वही हुआ, जिसका डर था। नौ महीनों से पाडर-मचेल इलाके के लोग प्रशासन तथा सरकार से गुहार लगा रहे थे कि कुंडेल से आगे रास्ते की हालत बहुत खस्ता है। कुंडेल का अस्थायी पुल कभी भी पानी का बहाव बढ़ जाने से दोबारा टूट सकता है। चशोती गांव के पुल की भी दयनीय हालत में हंै। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस समस्या को लेकर इलाके के लोगों का प्रतिनिधिमंडल लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से भी मिला। आश्वासन मिलते रहे। रास्ते का काम बहुत धीमी गति में चल रहा था।
चिशोती पुल का निर्माण पीडब्ल्यूडी द्वारा करवाना था और उन्होंने इसके ठेके करवा रखे थे, लेकिन ठेकेदार अपनी मनमर्जी से चल रहा था। हाल ही में ठेकेदार ने पुराने पुल को नीचे दरिया के साथ मिला दिया और नए पुल का निर्माण करने का काम शुरू करवाया, लेकिन बुधवार को भोटनाला में जलस्तर अचानक काफभ् बढ़ जाने से पुल बह गया, जिसके चलते पूरा इलाका कट गया है।
नाले की दोनों तरफ फंसीं बारातें : गुलाबगढ़ की तरफ से मचेल के लिए दो बारातें गई थी। मचेल से एक बरात अठोली ततापानी के लिए आई थी। वीरवार को दुल्हनों की विदाई हो गई, लेकिन वे अपनी ससुराल नहीं पहुंच पाईं। ऐसे में लोगों में प्रशासन के प्रति काफी नाराजगी है। मचेल के लोगों का कहना है कि 27 जुलाई, 2021 को बादल फटने से कुंडेल से लेकर चशोती तक पूरा रास्ता बह गया था। तब से लोग जान जोखिम में डालकर उस रास्ते पर चल रहे थे, लेकिन किसी का भी इस तरफ ध्यान नहीं हैं। रास्ते की जिम्मेवारी पीडब्ल्यूडी की है, लेकिन पीडब्ल्यूडी इसमें पूरी तरह से विफल रहा। अब चशोती का पुल बह जाने से सारा संपर्क टूट गया है।