मचैल छड़ी यात्रा के लिए प्रशासन और संस्था में नहीं बन पाया तालमेल
बलवीर सिह जम्वाल किश्तवाड़ मचैल यात्रा की छड़ी को लेकर प्रशासन ने सं
बलवीर सिह जम्वाल ' किश्तवाड़ :
मचैल यात्रा की छड़ी को लेकर प्रशासन ने संस्था के तीन-चार लोगों को ही छड़ी ले जाने की इजाजत दी है, जिसके चलते संस्था में काफी नाराजगी है।
कोरोना को लेकर सभी मंदिरों में जाने की मनाही है और किसी भी मंदिर में भीड़भाड़ नहीं हो रही है। किश्तवाड़ इलाके में कई मंदिर ऐसे है, जहां हर साल यात्राएं जाती हैं, जिनमें हजारों और लाखों की तादाद में लोग शामिल होते है। बाकी यात्राएं जैसे मिदल माता की यात्रा, चिटो माता की यात्रा, हुद माता की यात्रा, पारणा देवी की यात्रा और सरथल देवी की यात्रा, बगैर यात्रियों के संपन्न हो गई। हर यात्रा में चंद लोग रीति रिवाज के मुताबिक मंदिरों में गए और वहां जाकर पूजा-अर्चना की। अगले साल के लिए दुआ मांगी कि अगला साल सही सलामत आए और श्रद्धालुओं को मंदिरों में आने की अनुमति मिल जाए। ऐसे ही पिछले कई दिनों से मचैल यात्रा को लेकर भी काफी अटकलें लगाई जा रही थीं। पहले तो यह कहा जा रहा था कि मचैल यात्रा नहीं जाएगी, लेकिन जब प्रशासन ने हेलीकॉप्टर के ठेके करवाए तब कुछ उम्मीद बनी। लेकिन बाबा अमरनाथ की यात्रा बंद हो जाने के बाद मचैल यात्रा के लिए भी साफ हो गया कि वह नहीं जाएगी। उसके बाद प्रशासन द्वारा 25 जुलाई को पारंपरिक तरीके से मंदिर खुलने के बाद हवन यज्ञ किया गया, लेकिन उसमें पाडर के एसडीएम, तहसीलदार और संस्था के प्रधान सहित पुजारी शामिल हुए। यह कहा जाने लगा कि 10 अगस्त के बाद यात्रा के बारे में फैसला लिया जाएगा, लेकिन यह तय है कि परंपरा के मुताबिक छड़ी यात्रा जाएगी। अब प्रशासन द्वारा छड़ी यात्रा में सिर्फ चंद लोगों को शामिल होने की इजाजत दी जा रही है, जिसके चलते संस्था के लोगों में प्रशासन के खिलाफ नाराजगी है।
मचैल यात्रा चलाने वाली सर्वशक्ति सेवक संस्था के प्रधान नेकराम मन्हास ने बताया कि किश्तवाड़ के डीसी ने यह कहा है कि सिफे तीन-चार लोग ही छड़ी यात्रा के साथ जाएंगे, ऐसे में छड़ी को ले जाना बहुत मुश्किल है। क्योंकि छड़ी यात्रा की जोत हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से जम्मू आ रही है, जिसके साथ उठाने के लिए चार आदमी लगते है और उन्हे आराम देने के लिए भी कुछ आदमी चाहिए। ऐसे में छड़ी यात्रा का त्रिशूल भी बारी-बारी करके उठाया जाता है और परंपरा के मुताबिक छड़ी के साथ ढोल धमाका करने वाले छह आदमी भी साथ चलते है। ऐसे में तीन-चार लोगों को अगर प्रशासन इजाजत देता है तो छड़ी ले जाना बहुत मुश्किल होगा।
वहीं, किश्तवाड़ के डीसी राजेंद्र सिंह तारा का कहना था कि जैसे 25 जुलाई को मंदिर खुलने के बाद एसडीएम, तहसीलदार और संस्था के कुछ लोग हवन, यज्ञ में शामिल हुए थे, वैसे ही छड़ी यात्रा के लिए भी हमने संस्था के लोगों को कहा है कि वे ज्यादा लोगों को न ले जाकर सिर्फ तीन-चार लोगों को ही अपने साथ लेकर छड़ी की परंपरा को निभाएं।