किश्तवाड़ में सेना सिखा रही केसर की खेती के गुर
बलबीर सिंह जम्वाल किश्तवाड़ किश्तवाड़ इलाके का केसर पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां के केसर
बलबीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़ :
किश्तवाड़ इलाके का केसर पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां के केसर की गुणवत्ता नंबर एक पर आती है और इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कश्मीर के केसर से ज्यादा मिलती है। वर्तमान में दस ग्राम केसर की कीमत 1,500 से 1,600 रुपये है। इसकी खेती किश्तवाड़ शहर के आसपास के कुछ इलाकों में करीब 500 एकड़ में की जाती है। अब सेना ने कृषि विभाग के सहयोग से किश्तवाड़ से 30 किलोमीटर दूर नागसैनी इलाके के पडियारना गाव में भी केसर की खेती करवाने की तैयारी की है। इसी के चलते शनिवार को सेना ने पडियारना में एक शिविर लगाकर किसानों को केसर की खेती करने के गुर सिखाए।
शिविर में किसानों को बताया गया कि किस तरीके से केसर की खेती को पहले संवारा जाता है और उसके बाद किस समय बीज लगाया जाता है, किस समय केसर की खेती तैयार होगी और उसे कैसे निकाल कर बाजार में बेचना है। सेना के अधिकारियों का कहना था कि यह कार्य हम आपरेशन सद्भावना के तहत कर रहे हैं, ताकि लोग केसर की खेती करके पैसे कमाएं। इसके लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाए गए हैं, ताकि लोग इकट्ठा होकर केसर की खेती करें और पैसे कमाकर अपनी रोजी-रोटी का जरिया बनाएं। सेना के इस कार्य से इलाके के लोगों में भी काफी खुशी है। उनका कहना था कि सेना ने पहले इलाके से आतंकवाद का सफाया किया और अब यहा के बेरोजगार युवकों को तरह-तरह के प्रशिक्षण दे रही है, जिसमें कारपेंटर, वेल्डिंग, कंप्यूटर तकनीकी शिक्षा, मोटर मकैनिक सहित और भी कई ट्रेड शामिल हैं। अब सेना ने इलाके के अंदर केसर उगाने के लिए जो मुहिम छेड़ी है, उससे इलाके में काफी खुशी है, क्योंकि लोगों ने कभी सोचा ही नहीं था कि नागसैनी इलाके में भी केसर की खेती हो सकती है। उनका कहना था कि अगर सेना का यह प्रयास सफल हो जाता है तो पडियारना इलाके की भी किस्मत जाग जाएगी और लोग केसर की ही खेती करेंगे। क्योंकि इलाके में सर्दियों के समय अच्छी बर्फबारी होती है, जोकि केसर की खेती के लिए बहुत लाभदायक है।