मेरा चांद मुझे आया नजर
17यूडीएम20- बुधवार और वीरवार मध्यरात्रि में रात एक बजे करवाचौथ के लिए हाथों पर मेंहद
17यूडीएम20- बुधवार और वीरवार मध्यरात्रि में रात एक बजे करवाचौथ के लिए हाथों पर मेंहदी लगवाती महिलाएं.
17यूडीएम21-वीरवार को करवाचौथ के दिन भी मुखर्जी बाजार में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहा। रामनगर चौक से मुखर्जी बाजार को जाने वाले मार्ग पर तैनात सुरक्षा बल के जवान वाहन चालक को रोकते हुए।
17यूडीएम22-करवाचौथ के दिन ऊधमपुर के मुखर्जी बाजार में उमड़ी महिला ग्राहकों की भीड़।
17यूडीएम23-करवाचौथ के चलते मुखर्जी बाजार में प्रवेश प्रतिबंधित होने की वजह से बाजार को जाने वाले रास्ते पर लगे नो एंट्री बोर्ड के सामने खड़े रहे वाहन।
17यूडीएम35-हाउसिग कॉलोनी शिव मंदिर में करवाचौथ गौरी पूजन करती महिलाएं.
17यूडीएम33 व 34-करवाचौथ पर चांद को अर्घ्य देती विवाहिता।
17यूडीएम35-हाउसिग कॉलोनी शिव मंदिर में करवाचौथ गौरी पूजन करती महिलाएं.
17यूडीएम36-पौनी के राधा कृष्ण मंदिर में करवाचौथ को लेकर पूजन करती सुहागिन महिलाएं। जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : सुहागिन महिलाओं का त्योहार पारंपरिक तरीके और श्रद्धा भाव के साथ मनाया मनाया गया। सुबह सरगी खाने के बाद सुहागिनो ने अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए पूरे दिन निराहार रहकर कठोर व्रत किया। रात को चंद्र देव के उदय होने पर उनको अर्घ्य देकर अपने पति का दीदार कर उसके हाथों से जल और अन्य ग्रहण कर व्रत संपन्न किया।
करवाचौथ को लेकर विवाहित
महिलाओं में पिछले कई दिनों से खासा उत्साह देखने को मिल रहा था। वह नए कपड़े, चूडियां, श्रृंगार के साथ पूजन सामग्री खरीदने में व्यस्त थी। पिछले कुछ दिनों से मेहंदी लगाने के लिए भी काफी भीड़ उमड़ रही थी। जिस वजह से मेहंदी साजो के पास देर रात तक भीड़ लग रही थी। महिलाओं की भीड़ की वजह से मुखर्जी बाजार और लंबी गली में वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वीरवार को भी यह प्रतिबंध लागू रहा। वहीं करवाचौथ को लेकर पूरे दिन सभी ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं की खासी भीड़ रही। करवाचौथ व्रत की पूर्व संध्या पर बुधवार देर रात तक बाजार में खरीददारी होती रही।
सरगी खाकर की व्रत की शुरुआत
सुहागिन महिलाएं सुबह रखे जाने वाले व्रत की तैयारी करने के बाद सो गई। सुबह सूर्योदय से पूर्व घर में सास सरगी बनाने में लगी और बहुओं ने उनका सहयोग किया, जबकि अकेले रहने वाली दंपतियों का सहयोग उनके पतियों और बच्चों ने किया।
सुबह महिलाओं ने सरगी की एक थाली मां गौरी को अíपत की और जोत जला कर मां गौरी का ध्यान कर पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करवाचौथ व्रत का संकल्प लिया और सरगी खा कर व्रत प्रारंभ किया।
सजने संवरने में बिताया पूरा दिन
सुहागिन महिलाओं ने अपना समय मंदिर में माथा टेकने के बाद सजने और संवरने में गुजारा। घरों में रौनक भरा नजारा रहा और हर तरफ हंसी ठिठोली और एक दूसरे को करवाचौथ की मुबारकबाद देने की आवाजें सुनाई दे रही थी। शाम होने पर सुहागिन महिलाएं मंदिरों और अपने घरों में एकएकत्रित हुई। यहां पर सबने मिल कर गौरी पूजन किया और करवाचौथ व्रत की कथा सुनी। महिलाओं ने भगवान गणेश जी की भी उपासना की। जिसके बाद महिलाओं ने करवा फेर कर करवाचौथ का पूजन संपन्न किया। आसमान पर टिकी रहीं नजरें
पूजा के बाद महिलाओं का समय चांद निकलने के इंतजार में गुजरा। वहीं आसमान में छाए बादलों की वजह से चंद्रमा के उदय होने को लेकर महिलाएं आशंकित रही। भूख-प्यास से बेचैन महिलाओं की नजरें आसमान पर टिकी रहीं।
वह हर पल चांद के दीदार को लेकर उत्सुक नजर आई, लेकिन आसमान पर छाए बादलों ने उनकी इंतजार की घड़ियां को लंबा कर दिया। हालांकि, चंदमा समय से ही उदय हुए लेकिन व्रती महिलाओं को समय कटना मुश्किल हो रहा था।
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कुंवारी लड़कियों में व्रत को लेकर दिखा उत्साह
मुख्य तौर पर करवाचौथ व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है। मगर विवाह योग्य कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं। वह चांद सा और योग्य पति पाने की कामना कर यह व्रत रखती है। कुंवारी लड़कियों में भी इस व्रत को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। छोटी कन्या जहां श्रृंगार करने और चूडियां और नए कपड़े पहने को लेकर खुश थी। वहीं किशोरियों और विवाह योग्य युवतियां ने अपने सपनों के राजकुमार पाने की कामना से करवाचौथ व्रत किया। युवतियों ने भी सुबह तड़के उठ कर विवाहित महिलाओं की तरह सरगी खाई और करवाचौथ व्रत रखा। स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों ने भी सजने संवरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हर किसी ने खूबसूरत और योग्य जीवनसाथी पानी की कामना कर करवाचौथ का कठोर व्रत किया। कुंवारियों ने घर पर ही करवाचौथ व्रत कथा पढ़ी और इसके बाद शाम को चंद्र देव को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया।